क्या आप हिमाचल प्रदेश के मां ज्वाला जी मंदिर में दर्शन करने हेतु जानना चाहते हैं, या जाने के बारे में सोच रहे हैं। तो हम आपको बता दे कि, आज आप बिल्कुल सही जगह है। क्योंकि आज के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको यह मालूम हो जाएगा कि, आखिर आप मां ज्वाला जी के मंदिर किस प्रकार से जा सकते हैं। जिससे कि आपको किसी प्रकार की समस्या ना हो। यानी कि हम इस आर्टिकल में आपको आपके सफर के लिए गाइड करने वाले हैं। साथ ही साथ इस आर्टिकल में हम आपको इस मंदिर के इतिहास के बारे में भी कुछ जानकारी देने वाले हैं। तो चलिए बिना किसी देरी के इस आर्टिकल को शुरू करते हैं।
ज्वाला जी मंदिर कहाँ है ? | हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा मैं है। |
ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है ? | कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन |
कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन से ज्वाला देवी मंदिर की दूरी कितनी है ? | लगभग 30 -32 किलोमीटर है |
निकटतम एयरपोर्ट | कांगड़ा एयरपोर्ट |
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मां ज्वाला जी मंदिर के दर्शन कैसे (Maa jwala devi mandir ke darshan kaise kare )?
अगर आप हिमाचल प्रदेश में आकर मां ज्वाला जी मंदिर जाकर आरती में शामिल होना चाहते हैं, तो आपको समय का विशेष ध्यान रखकर यहां आना होगा, ताकि आप आरती में शामिल हो सके। तो इसके लिए हम आपको बता दें कि यहां दिन में चार बार आरती होता है, और उस आरती का समय कुछ इस प्रकार से है।
इस मंदिर में सुबह आरती का समय 5:00 बजे और दोपहर को आरती का समय 12:00 बजे है, और अगर शाम के आरती की बात करें, तो यहां शाम की आरती का समय 7:00 बजे, और रात को आरती का समय 10:00 बजे है। अगर आप इस समय को ध्यान में रखकर आएंगे तो आप आरती में शामिल हो सकते।
मां ज्वाला जी मंदिर कैसे पहुचे (Maa Jwala devi mandir kaise phuche)?
बस से मां ज्वाला जी मंदिर कैसे पहुचे (Bus se Jwala Maa ji mandir kaise phuche) ?
अगर आप सड़क यात्रा करते हुए बस से जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि यह मंदिर सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जिसके लिए आपको नियमित बसें भी देखने को मिल जाएगी। आप चाहे तो बस का इस्तेमाल कर सकते हैं और अगर आप चाहे तो खुद के वाहन से भी सफर करके मंदिर पहुंच सकते हैं।
ट्रेन से मां ज्वाला जी मंदिर कैसे पहुचे (Train se Maa Jwala ji mandir kaise phuche)?
अगर आप ट्रेन से आने के बारे में सोच रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन है, जहां से इस मंदिर की दूरी लगभग 30 से 32 किलोमीटर है। तो इस रेलवे स्टेशन में आकर आप टैक्सी या फिर बस की मदद से मंदिर जा सकते है।
ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है (Jwala Devi Mandir ka nearest Railway Station)?
ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का निकटतम रेलवे स्टेशन कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन है।
कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन से ज्वाला देवी मंदिर की दूरी कितनी है (Kangra Mandir Railway Station se Jwala Devi Mandir ki Duri)?
कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन से ज्वाला देवी मंदिर की दूरी लगभग 30 -32 किलोमीटर है यह दूरी आप बस ,टैक्सी या ऑटो से तय कर सकते है।
फ्लाइट से मां ज्वाला जी मंदिर कैसे पहुचे (Airo plane se Maa Jwala ji mandir kaise phuche)?
अगर आप अपने शहर से फ्लाइट की मदद से आ रहे हैं। तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर का निकटतम एयरपोर्ट कांगड़ा एयरपोर्ट है यानी कि गग्गल एयरपोर्ट है। अगर इस एयरपोर्ट से मंदिर के बीच की दूरी की बात की जाए, तो दोनों के बीच लगभग 45 किलोमीटर का डिस्टेंस है। जिसे कवर करने के लिए आप या तो बस का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर आप टैक्सी बुक कर सकते।
F.A.Q
ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का निकटतम रेलवे स्टेशन
कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का निकटतम रेलवे स्टेशन है।
ज्वाला देवी मंदिर से चिंतपूर्णी की दूरी
ज्वाला देवी मंदिर से चिंतपूर्णी की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है।
ज्वाला देवी मंदिर से शिमला की दूरी
ज्वाला देवी मंदिर से शिमला की दूरी लगभग 180 किलोमीटर है।
ज्वाला देवी मंदिर से चामुंडा देवी की दूरी
ज्वाला देवी मंदिर से चामुंडा देवी की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है।
ज्वाला देवी मंदिर से धर्मशाला की दूरी
ज्वाला देवी मंदिर से धर्मशाला की दूरी लगभग 51 किलोमीटर है।
मां ज्वाला जी मंदिर का इतिहास (Jwala Devi temple history in Hindi)
आपको यह तो मालूम होगा कि पूरे भारत में 51 शक्ति पीठ हैं और इन 51 जगहों में सती माता के अलग-अलग अंग गिरे थे। जिससे इन शक्तिपीठों का निर्माण हुआ है। तो आपको बता दें कि जिस जगह में आज मां ज्वाला जी मंदिर स्थित है, कहा जाता है कि उस जगह में माता सती की जीभ आकर गिरी थी, इसलिए इस मंदिर का निर्माण इस जगह में हुआ है, और यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है।
इस मंदिर का नाम मां ज्वाला जी मंदिर इसलिए रखा गया है, क्योंकि इस मंदिर के अंदर किसी भी देवी देवता की प्रतिमा नहीं, बल्कि इस मंदिर के अंदर जमीन के गर्भ भाग से ज्वाला निकलती है। इस मंदिर में नौ अलग-अलग जगहों से ज्वाला निकलती है, जिसकी पूजा की जाती है, और खास बात यह है कि इस ज्वाला को किसी इंसान ने नहीं जलाया है, बल्कि यह प्राकृतिक तौर पर यहां जलती है, और इसे कोई बुझा भी नहीं सकता।
राजा अकबर ने भी इससे बुझाने की लाख कोशिश की थी, लेकिन उसके बावजूद भी इस वह इस ज्वाला को बुझाने में नाकाम रहे, और कहा जाता है कि जब अकबर इस ज्वाला को बुझा नहीं पाए, तो उन्होंने इसे चमत्कार मान कर देवी को लगभग 50 किलो सोने का छतर भेंट किया था। लेकिन देवी ने इसे स्वीकार नहीं किया। छतर गिर गया और सोने से परिवर्तित हो गया और कहां जाता है कि आज भी वह छतर इसी मंदिर में मौजूद है।
अगर इस मंदिर के निर्माण की बात की जाए, तो इस मंदिर का निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया था। लेकिन बाद में इसका पुनः निर्माण पंजाब के राजा रणजीत सिंह और हिमाचल के राजा संसार चंद ने 1835 में करवाया।
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