दुर्गा मंदिर वाराणसी का इतिहास और कैसे पहुंचे – संपूर्ण जानकारी

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क्या आप उत्तर प्रदेश में स्थित दुर्गा टेंपल जाना चाहते हैं, और अगर आप वहां जाना चाहे, तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ कर ही अपना सफर शुरू करें। क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको दुर्गा टेंपल जाने तथा वहां पहुंचकर देवी के दर्शन करने के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। हम आपको आज यह बताने वाले हैं कि आप वाराणसी के दुर्गा टेंपल मंदिर में किस किस साधन से पहुंच सकते हैं। साथ ही साथ इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको इस मंदिर के इतिहास के बारे में भी पता चल जाएगा। इसलिए यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है। तो चलिए शुरू करते हैं।

दुर्गा मंदिर वाराणसी का इतिहास (Durga Mata Mandir Varanasi History in Hindi )

यह मंदिर कर्नाटक में वाराणसी से लगभग 4 किलोमीटर दूर स्थित है। अगर बात करें इस मंदिर की तो यह मंदिर लाल पत्थरों से बना हुआ है। इसलिए इसे लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है  इस मंदिर के एक तरफ दुर्गाकुंड है जिसे कि अभी बदलकर फव्वारे में तब्दील कर दिया गया है। इस मंदिर में मां दुर्गा की यंत्र के रूप में मौजूद हैं, जिनकी यहां आराधना की जाती है। यहां दुर्गा जी के साथ-साथ भैरवनाथ, महाकाली, मां लक्ष्मी, और सरस्वती जी की भी प्रतिमा मौजूद है। 

अगर बात करें इस मंदिर के इतिहास की, तो इस मंदिर का निर्माण सन 1760 में रानी भवानी जी के द्वारा करवाया गया था। मान्यता है कि उस समय इस मंदिर की लागत 50 हजार रुपय आई थी। पौराणिक कथाओं से हमें यह पता चलता है कि दुर्गा मां ने शुंभ और निशुंभ का वध करने के बाद इस मंदिर वाले जगह विश्राम किया था। इसलिए इस जगह में इस मंदिर का निर्माण किया गया है।

एक और पौराणिक कथा के हिसाब से हमें यह पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा सुबाहु ने करवाया था। कहा जाता है कि मां दुर्गा ने स्वयं राजा सुबाहु को सपने में आकर उनसे अपनी बेटी का विवाह सुदर्शन से करवाने, तथा इस स्थान पर अपने मंदिर बनवाने का आदेश दिया था। कहा जाता है की इस सपने के बाद राजा  सूबाहु ने इस मंदिर का निर्माण किया था।

चलिए अगर आप इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जा रहे हैं, तो हम आपको इस मंदिर में दर्शन करने के लिए कुछ जरूरी जानकारी भी दे देते हैं। ताकि आप आसानी से यहां जाकर देवी के दर्शन कर सकें।

दुर्गा मंदिर वाराणसी के दर्शन कैसे करें (Durga Mata Mandir Varanasi ke Darshan Kaise Kre)?

अगर हम इस मंदिर में दर्शन के समय के बारे में बात करें, तो यह मंदिर सुबह भक्तों के लिए 5:00 बजे खुल जाता है, और यह मंदिर दोपहर के 12:00 बजे बंद कर दिया जाता है। उसके बाद इस मंदिर को पुनः 3 से 4  बजे खोला जाता है, जिसके बाद यह मंदिर रात के 9:00 बजे तक खुला रहता है। तो अगर आप इस समय को ध्यान में रखकर आएंगे, तो आप आसानी से दुर्गा मां के दर्शन कर सकते हैं। इसमें आपको किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी, और हम आपको यह भी बता दें कि इस मंदिर में दर्शन के लिए आपको किसी भी प्रकार के शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ता है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति आपसे शुल्क की मांग करें, तो उसे किसी भी प्रकार के शुल्क का भुगतान ना करें।

दुर्गा मंदिर वाराणसी कैसे पहुचे (Durga Mandir varanasi Kaise Phuche)?

बस से दुर्गा मंदिर वाराणसी कैसे पहुचे ?

हम आपको बता चुके है की यह मंदिर वाराणसी में स्थित है, और वाराणसी लगभग सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए आपको यहां पहुंचने के लिए बसों की अच्छी सुविधा देखने को मिल जाएगी। जिसकी मदद से आप अपना सफर पूरा कर सकते हैं, और दुर्गा मंदिर वाराणसी में आकर माता के दर्शन कर सकते हैं।

ट्रेन (Train) से दुर्गा मंदिर वाराणसी कैसे पहुचे?

क्या आप ट्रेन से आने के बारे में सोच रहे हैं,  तो ट्रेन से आना आपके लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि अगर इस मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन की बात करें, तो वह वाराणसी में ही मौजूद है। अगर इस रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी की बात करें, तो सिर्फ और सिर्फ 2 से 3 किलोमीटर की है। जिसे आप आसानी से ऑटो या टैक्सी की मदद से पूरा कर सकते हैं।

फ्लाइट (Airoplane) से दुर्गा मंदिर वाराणसी कैसे पहुचे?

अगर आप यहां फ्लाइट की मदद से आने के बारे में सोच रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर का निकटतम एयरपोर्ट लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। जहां से इस मंदिर की दूरी मात्र 25 किलोमीटर है, जहां आप ऑटो या टैक्सी की मदद से जा सकते हैं।

वाराणसी में घूमने की जगह (Varanasi/Banaras Mai Ghumne ki Jagah ) प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

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