तो दोस्तों कैसे हैं आप लोग, स्वागत है आपका आज के हमारे एक और नए आर्टिकल में। तो दोस्तों क्या आप भी शिव जी के भक्त हैं, जाहिर सी बात है कि देवों के देव महादेव का आखिर कौन भक्त नहीं होता है। तो अगर आप महादेव के एक सच्चे भक्त हैं, तो आपको महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में तो मालूम ही होगा, लेकिन अगर आपको 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में नहीं मालूम है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप शिव जी के सच्चे भक्त नहीं है। लेकिन हां एक शिव जी के भक्त होने के नाते आपको 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानना चाहिए।
तो अगर आपको इन ज्योतिर्लिंगों के बारे में नहीं मालूम है, तो यह आर्टिकल हम आपके लिए ही लेकर आए हैं, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि ज्योतिर्लिंग क्या है, और हमारे देश में शिव जी के जो 12 ज्योतिर्लिंग है वह कहां-कहां स्थित है, और उनका महत्व क्या है। तो अगर आप भी हमारे देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। इसलिए इसे बीच में छोड़कर कहीं ना जाएं, इसे आखिरी तक जरूर पढ़ें। आज इस आर्टिकल में आपको हमारे देश के उन 12 के 12 ज्योतिर्लिंगों और उनके महत्व के बारे में पता चलने वाला है, जिससे कि आप अभी तक अनजान है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं।
ज्योतिर्लिंग क्या है (Jyotirlinga Kya Hai)?
दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया कि हमारे देश भर में शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित है और हम आपको बता दें कि ज्योतिर्लिंग का अर्थ प्रकाश का स्तंभ होता है, और मान्यता है कि जिस 12 जगह में आज शिव जी के ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं, उस जगह पर आज वर्तमान में भी शिवजी ज्योति के रूप में विराजमान है, और उस जगह की रक्षा कर रहे हैं। इसलिए इन 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व हमारे हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा हो जाता है। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति अपने पूरे जीवन में बारह के बारह ज्योतिर्लिंगों का दर्शन कर लेता है, उसे बहुत ही ज्यादा सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और उसे मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होती है।
तो अगर आपने सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर लिए हैं तो आपको अपने आपको बहुत ही ज्यादा सौभाग्यशाली समझना चाहिए, और अगर अभी तक आपने नहीं किया है, तो कोशिश करें कि पूरे नहीं तो कुछ के दर्शन आप कर लें, इससे भी आपको बहुत ही ज्यादा सौभाग्य की प्राप्ति होगी। अगर बात करें ज्योतिर्लिंग के अर्थ की, तो हम आपको बता दें कि यह दो शब्दों से मिलकर बना है पहला ज्योति और दूसरा लिंग। अगर बात करें इसके अर्थ की, तो हम आपको बता दें कि इसका अर्थ होता है भगवान शिव की ज्योति, जो कि हमारे देश के अलग-अलग 12 क्षेत्र में ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे, इसे ही ज्योतिर्लिंग का नाम दिया गया। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति के बारे में कुछ जानकारी देते हैं।
ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई (Jyotirlinga kaise utpan hua)?
तो दोस्तों अगर बात करें ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई, तो हम आपको बता दें कि शिव जी की वजह से ही हमारे पूरे देश में 12 ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई है, कोई भी इंसान ज्योतिर्लिंग को उत्पन्न नहीं कर सकता, यह भगवान शिव की कृपा है जिन्होंने हमारे पृथ्वी में 12 ज्योतिर्लिंगों को स्थापित किया, ताकि वह लोगों का कल्याण कर सके। इसकी उत्पत्ति के पीछे एक पौराणिक कथा है, कहा जाता है कि एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु आपस में बहस कर रहे थे कि दोनों में से श्रेष्ठ देवता कौन है, इसके बाद कहा जाता है कि वहां शिवजी प्रकट हुए, और वह ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे। उन्होंने ब्रह्मा जी और विष्णु जी दोनों से कहा कि तुम इस ज्योति का अंत प्राप्त करके बताओ, जिसने इसका अंत प्राप्त कर लिया, वही श्रेष्ठ देवता है। तो ब्रह्मा जी और विष्णु जी दोनों ही इस ज्योति का अंत ढूंढने के काम में लग गए, लेकिन लाख कोशिश करने के बाद भी उन्हें इस प्रकाश का अंत नहीं मिला। जिसके बाद कहा जाता है कि शिव जी ने इस प्रकाश को पृथ्वी पर गिरा दिया और यह हमारे देश के अलग-अलग 12 जगह पर प्रकट हुए।
तो दोस्तों अब अपने ज्योतिर्लिंग और इसकी उत्पत्ति के बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर ली है, तो चलिए इस आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और आपको हमारे भारत में स्थित उन 12 ज्योतिर्लिंगों और उनके स्थान के बारे में बताते हैं, ताकि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी हो जाए।
शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग कौन-कौन से हैं और वह कहां स्थित है?
दोस्तों जैसा कि आपको यह पहले से ही पता है कि ज्योतिर्लिंग हमारे देश में 12 जगह पर स्थित है। तो नीचे हमने आपको उन 12 जगह के बारे में पूरी जानकारी दी है, जिसकी मदद से आप इन ज्योतिर्लिंग और उनके महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
1:सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga)
दोस्तों अगर बात करें 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे पहले ज्योतिर्लिंग की, तो उसमें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पहले नंबर पर आता है। यह हमारे भारत के गुजरात के अंतर्गत सौराष्ट्र नामक क्षेत्र के अंदर का स्थित है। कहा जाता है कि यह हमारे पूरी पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग है, जोकि हमारे दुनिया में सबसे पहले स्थापित हुआ था। कहा जाता है कि इस स्थान पर एक कुंड है जिसे की सोमनाथ कुंड के नाम से जाना जाता है, जिसे की देवी देवताओं ने मिलकर निर्माण किया था।
इतना ही नहीं, यहां की यह मान्यता है, कि अगर कोई व्यक्ति जाकर इस कुंड में स्नान करता है, तो उसे उसके सारे पापों से मुक्ति मिलती है, और उसे मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए अगर आप भी यहां दर्शन के लिए जाएं तो इस कुंड में स्नान करना ना भूले।
अगर बात करें इस मंदिर का निर्माण किसने किया था, तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण सबसे पहले चंद्र देव जी ने किया था, जीने की सोम नाम से भी जाना जाता था, जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम सोमनाथ मंदिर रखा गया। इस मंदिर में जो आप सोने का भाग देखते हैं, उसका निर्माण चंद्र देव जी ने और जो भाग आप चांदी का देखते हैं उस भाग का निर्माण स्वयं सूर्य देव ने किया था। हम आपको यह भी बता दे कि इस मंदिर का निर्माण कुल मिलाकर 16 बार किया गया है, क्योंकि कई बार महमूद गजनवी ने इस मंदिर पर आक्रमण करके इसे खंडित कर दिया था।
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2: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirlinga)
तो दोस्तों अगर बात करें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की, तो हम आपको बता दे कि हमारे भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के अंतर्गत कृष्णा नदी के किनारे पर बसा हुआ है, यह ज्योतिर्लिंग श्री शैलम नामक पर्वत पर स्थित है। इतना ही नहीं, यह ज्योतिर्लिंग हमारे भारत देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से द्वितीय स्थान पर स्थित है, इसलिए इसका भी महत्व बहुत ही ज्यादा है, और लाखों की संख्या में लोग इसके दर्शन के लिए यहां आते हैं।
इस जगह पर शिव जी का ज्योतिर्लिंग स्थापित होने के पीछे एक पुरानी कथा है, कहा जाता है कि एक दिन शिवजी और पार्वती जी को यह चिंता हुई कि गणेश जी और कार्तिकेय जी दोनों में से किसका विवाह पहले करवाया जाए, जिसके लिए उन्होंने दोनों से कहा कि जो इस संपूर्ण धरती का चक्कर पहले लगाकर आएगा, उसका विवाह पहले होगा। यह सुनकर कार्तिकेय जी अपनी मोर पर दुनिया का भ्रमण करने निकल गए, लेकिन गणेश जी ने ऐसा नहीं किया। वह पार्वती माता और शिवजी का ही चक्कर लगाने लगे, और उन्होंने कहा कि आप ही मेरे लिए मेरी दुनिया और मेरे लिए पूरा ब्रह्मांड है। जिसके बाद शिव पार्वती गणेश जी से खुश हुए, और गणेश जी का विवाह रिद्धि सिद्धि से करवा दिया।
यह बात जब कार्तिकेय जी को पता चली, तो उन्हें बहुत ही ज्यादा बुरा लगा, और वह नाराज होकर श्री शैलम पर्वत पर ही जाकर रहने लगे, शिव और पार्वती जी के आग्रह करने के बाद भी वे नहीं माने। अंत में शिव जी को अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने के लिए ज्योति रूप धारण करना पड़ा, इसके बाद वह श्री शैलम पर्वत पर गए और वहीं निवास करने लगे, जिसकी वजह से आज मल्लिकार्जुन में यहां शिवजी का ज्योतिर्लिंग मौजूद है।
कहां जाता है कि जिस दिन शिव जी कार्तिकेय जी से मिलने गए थे, वह अमावस्या का दिन था, इसलिए आज भी अमावस्या के दिन शिव जी यहां प्रकट होते हैं।
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3: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga)
दोस्तों अगर बात करें महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तो हम आपको बता दें कि यह हमारे भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत उज्जैन नगर में स्थित शिव जी का एक बहुत ही बड़ा मंदिर है, जोकि हमारे भारत देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरे स्थान पर विराजमान है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग का महत्व इतना ज्यादा है कि इसके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इतना ही नहीं, अगर कोई व्यक्ति महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करता है, तो काल भी व्यक्ति का कुछ भी बिगाड़ नहीं पाती है, यानी कि शिवजी की कृपा से अकाल मृत्यु भी टल जाती है। इस ज्योतिर्लिंग यानी कि महाकालेश्वर मंदिर के बारे में हमें महाभारत में भी जाने को मिलता है, जिससे कि आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि इसका इतिहास कितना पुराना होगा। तुलसीदास जी ने भी अपने ही लेखनी में इस मंदिर की बहुत प्रशंसा की है।
अगर बात करें इस मंदिर की स्थापना की, तो मैं आपको बता दू कि कहा जाता है कि यह मंदिर 800 से 1000 वर्ष पुराना है, वैसे तो इस मंदिर का विस्तार विक्रमादित्य ने किया था, और इतना ही नहीं कहा जाता है कि विक्रमादित्य के बाद कोई भी राजा यहां रात भर भी टिक नहीं पाया है।
वैसे तो वर्तमान में जो आप यहां मंदिर देख रहे हैं, उसका निर्माण रामचंद्र बाबा ने करवाया था जोकी राणोजी सिंधिया के मुनीम थे। जैसे कि हमने आपको बताया कि विक्रमादित्य ने उज्जैन नगरी में शासन किया था, और उसके बाद कोई भी राज्य यहां ठीक नहीं पाया है, सभी किस न किसी वजह से मारे गए हैं, इसलिए आज के समय में भी कोई राजा या फिर नेता उज्जैन नगरी में रात बिताना नहीं चाहता है।
4: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग(Omkareshwar Jyotirlinga)
अगर बात करें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की, तो यह हमारे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथे नंबर पर आता है, जोकि हमारे भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत खंडवा जिले में स्थित है। यह मंदिर शिव जी को समर्पित है, जोकी नर्मदा नदी के बीच में शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। जिसके दर्शन के लिए लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं, और कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही लोगों को बहुत ही ज्यादा सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।
दोस्तों इस जगह को लेकर कई सारे पुरानी कथाएं है जिनमे की कहा जाता है कि हर रात दुनिया में भ्रमण करने के बाद शिवजी यहां रात को सोने के लिए आते हैं। अगर बात करें इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के होने के कारण की, तो एक पौराणिक कथा के अनुसार हमें पता चलता है कि नर्मदा नदी के तट पर बैठकर मांधाता ने इस जगह पर शिवजी की कठिन तपस्या की थी, जिससे शिवजी प्रसन्न हो गए थे, और उन्होंने मांधाता को साक्षात दर्शन दिए थे, और उन्हें कोई वर मांगने को कहा था।
कहा जाता है कि इसके बाद मांधाता ने शिव जी को उसी जगह पर निवास करने हेतु वर मांगा, और कहां की मेरा नाम भी आपके साथ जुड़ जाए। जिसके बाद शिव जी ने मांधाता की मनोकामना पूर्ण की, और उन्होंने इस जगह पर निवास किया, जिस वजह से आज यहां पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की स्थापना हुई, इस जगह को आज यहां लोग मांधाता के नाम से भी जानते हैं।
इस मंदिर में शाम की आरती बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है, यहां रात को आरती खत्म होने के बाद चौपड बिछाई जाती है, कहा जाता है कि प्रतिदिन यहां शिवजी और पार्वती जी चौसर खेलने आते हैं। तो अगर आप भी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में जाकर इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
5: केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga)
दोस्तों आपको केदारनाथ के बारे में तो मालूम ही होगा, क्योंकि यह हमारे हिंदू धर्म के चार धामों में से एक विशेष जगह है, जहां लाखों की संख्या में लोग चार धाम की यात्रा करने तथा केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए जाते हैं। अगर बात करें केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग की, तो हम आपको बता दें कि यह मंदिर हमारे भारत के उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत हिमालय पर्वत की केदार नामक चोटी पर स्थित है। जिसे की केदारनाथ के मंदिर के नाम से जाना जाता है, और ज्योतिर्लिंग को केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि अगर यहां कोई भक्त जाता है और भगवान शिव को जल अर्पित करता है तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और उसे बहुत ही ज्यादा सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर विष्णु जी के दो अवतार यानी कि श्रीनर और नारायण ने मिलकर शिवजी की कठिन तपस्या की थी, उन्होंने एक पैर पर खड़े होकर हजारों वर्ष तक शिव जी के नाम का जाप किया था, जिससे कि शिवजी उनके इस कठिन तपस्या से प्रसन्न हुए थे, और उन्हें दर्शन दिया था, और इसी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने इस स्थान पर अपना ज्योतिर्लिंग स्थापित किया था, और उस समय से ही यह ज्योतिर्लिंग हमारे इस दुनिया में मौजूद है, जिसका महत्व आज बहुत ही ज्यादा है, जिसके दर्शन के लिए विदेश से भी लोग यहां आते हैं।
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6: भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga)
दोस्तों अगर बात करें भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की, तो हम आपको बता दे की यह हमारे भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर सह्याद्रि पर्वत पर स्थित शिव जी का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। जोकी शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से छठवें नंबर पर स्थित है। यहां जो भगवान शिव का शिवलिंग स्थित है, वह आकार में थोड़ा मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि अगर इस स्थान पर आकर आप अपनी कोई मनोकामना शिव जी से मांगते हैं, तो वह जरूर पूरी होती है।
अगर बात करें इस ज्योतिर्लिंग के स्थापित होने के कारण की, तो कहा जाता है कि कुंभकरण के पुत्र जिसका नाम भीम था उसने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए राम जी से बदला लेना चाहा, जिसके लिए उसने बहुत ही ज्यादा तपस्या की, जिससे कि ब्रह्मा जी उनसे प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया। जिसके बाद भीम बहुत ही ज्यादा ताकतवर बन चुका था, जिससे कि वह देवी देवताओं को भी परेशान करने लगा था। जिसके बाद सारे देवी देवता भगवान शिव के शरण में गए, और उनसे इस समस्या के बारे में चर्चा की, जिसके बाद शिवजी ने देवी देवताओं को विश्वास दिलाया कि वह इसका उपाय करेंगे, जिसके पास शिव जी ने भीम के साथ लड़ाई की और उसे युद्ध में परास्त किया, जिसके पश्चात सारी देवी देवता ने शिव जी से कहा कि आप इसी स्थान पर निवास करें, इसके बाद भगवान शिव ने देवी देवताओं की आग्रह को स्वीकार किया, और इसी स्थान पर जहां अभी यह भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थापित है, उस स्थान पर ज्योति के रूप में स्थापित हुए।
7: विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Vishwanath Jyotirlinga)
दोस्तों अगर बात करें विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की, तो यह हमारे भारत के काशी के अंतर्गत स्थित विश्वनाथ मंदिर के नाम से जाने वाला शिव जी का एक विशाल मंदिर है, जोकि हमारे देश में सिर्फ 12 ज्योतिर्लिंगों में से सातवें नंबर पर आता है। आपको यह तो पता ही होगा, कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं, हम आपको बता दें कि एक बार की बात है शिवजी और पार्वती जी के विवाह के बाद शिव जी कैलाश पर्वत पर निवास कर रहे थे, और पार्वती जी उनके पिताजी के यहां थी। जहां उनका मन नहीं लग रहा था। जिसकी वजह से पार्वती जी ने शिव जी से आग्रह की, कि वह उनके पिताजी के यहां आए, और उन्हें वहां से ले जाएं, क्योंकि उनका वहां मन नहीं लग रहा है। जिसके बाद शिव जी पार्वती जी के पास गए, और उन्हें वहां से लेकर काशी आ गए, और उन्होंने वहीं पर निवास करने का निश्चय किया, और उन्होंने इस स्थान पर अपने आप को ज्योति के रूप में स्थापित किया, जहां पर अभी यह विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थापित है।
कहां जाता है कि आज के समय में भी शिवजी यहां मौजूद हैं, और उनकी त्रिशूल की नोक पर ही यह नगरी टिकी हुई है। वैसे तो इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हरिश्चंद्र के द्वारा करवाया गया था, इस मंदिर के निर्माण का कार्यक्रम 11वीं शताब्दी से लेकर 15वीं शताब्दी तक चला, क्योंकि कई मुगल आक्रमण कार्यो ने इस मंदिर पर आक्रमण किया था। इस मंदिर को विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के अलावा विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है विश्व पर शासन करने वाला अर्थात स्वयं शिवजी। लाखों की संख्या में यहां भी लोग इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं, तो अगर आप भी यहा आना चाहे तो काशी जाकर इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं।
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8: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Trimbakeshwar Jyotirling Temple)
तो दोस्तों अगर बात करें त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे में, तो यह हमारे भारत देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बहुत ही प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है, जोकी आठवें नंबर पर स्थित है। अगर बात करें इसके स्थान की, तो यह हमारे भारत के महाराष्ट्र राज्य के अंतर्गत नासिक जिले में त्र्यंबक नगर में स्थित है। यह ब्रह्मगिरी पर्वत पर स्थापित है, जोकी गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है। कहां जाता है कि इस स्थान पर छोटे-छोटे तीन शिवलिंग है, जिन्हे की ब्रह्मा, विष्णु, और महेश यानी कि शिव जी का रूप दिया गया है, कहा जाता है कि इसके दर्शन करने से भक्तों को बहुत ही ज्यादा सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
एक पुरानी कथा के अनुसार अहिल्या देवी के पति गौतम जी ब्रह्मगिरी पर्वत पर तपस्या कर रहे थे, उस समय अन्य साधु संत गौतम जी से बहुत ही ज्यादा ईर्ष्या करते थे, जिसके कारण एक दिन उन्होंने गौतम जी के ऊपर गौ हत्या का आरोप लगा दिया, जिसके बाद सभी साधु संत ने गौतम जी से कहा कि अगर तुम इसका पश्चाताप करना चाहते हो, तो तुम्हें इस पर्वत पर गंगा जी को लाना होगा, तभी तुम्हें इसका पश्चाताप मिलेगा। इसके बाद गौतम जी इस स्थान पर शिवजी की तपस्या करने लगे, जिसके बाद शिवजी और पार्वती जी दोनों ने ही प्रसन्न होकर गौतम जी को दर्शन दिया, और उन्हें कोई वर मांगने को कहा। इसके बाद गौतम जी ने शिवजी और पार्वती जी से कहा कि आप कृपा करके गंगा जी को इस स्थान पर भेज दीजिए, जिसके बाद गंगा जी में कहा कि जब तक शिवजी यहां निवास नहीं करेंगे, तब तक मैं भी यहां नहीं रहूंगी। जिसके बाद शिव जी ने फैसला लिया कि वह यही अपनी ज्योति के रूप में स्थापित रहेंगे, शिव जी के ऐसा करने के बाद गंगा जी भी मान गई और वह यह गोदावरी नदी के रूप में बहने लगी, और यह वही स्थान है जहां त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।
9: बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga)
दोस्तों अगर बात करें वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की, तो यह हमारे भारत के झारखंड जिले के अंदर देवघर में स्थित है। हम आपको बता दें, कि यह शिवजी का ज्योतिर्लिंग होने के साथ-साथ माता सती के शक्तिपीठों में से भी एक है। कहा जाता है कि इस स्थान पर माता का हृदय गिरा था इतना ही नहीं यह भी माना जाता है कि इस स्थान पर शिवजी माता के हृदय में ही निवास करते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार हमें पता चलता है कि रावण की वजह से ही देवघर में शिव जी का यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है, एक बार की बात है जब रावण शिव जी को प्रसन्न करने के लिए बहुत ही कड़ी तपस्या कर रहा था, उसने अपने सारे सर एक-एक करके शिव जी को समर्पित कर दिए थे, जब वह अपना दसवां सर काटने जा रहा था, तब शिवजी ने रावण को दर्शन दिए और उसे उसका मनचाहा वरदान मांगने को कहा। इसके बाद रावण ने कहा कि मैं आपको लंका ले जाकर वहां स्थापित करना चाहता हूं, जिसके पास शिव जी ने कहा कि ठीक है तुम इस शिवलिंग को ले जाओ, लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि इस शिवलिंग को तुम रास्ते में जहां भी रखोगे मैं उसी जगह स्थापित हो जाऊंगा।
जब रावण शिवलिंग को लेकर लंका की तरफ बढ़ रहा था, तब रावण देवघर के पास में ही लघु शंकाजाना पड़ा, जिसकी वजह से उसने शिवलिंग को जमीन पर ही रख दिया। जिसके बाद शिव जी के कहे अनुसार शिव जी ने वहीं स्थापित होने का निश्चय किया, और इस कारण आज के समय में यह ज्योतिर्लिंग देवघर में स्थित है। इतना ही नहीं कहा जाता है कि इस स्थान पर जो भी भक्त आकर इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, और मनोकामना मांगता है, उसकी मनोकामना पूरी जरूर होती है। इसलिए यहां के ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है।
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10: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirlinga)
दोस्तों अगर बात करें नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की, तो हम आपको बता दें कि हमारे भारत के महाराष्ट्र जिले के अंतर्गत गुजरात के द्वारिका धाम से मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है, क्योंकि आपको यह तो पता ही होगा की शिव जी को नागेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए इस स्थान को भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।
इतना ही नहीं, जैसा कि सभी को पता है कि शिव जी के गले में नाग विराजमान रहते हैं, इसलिए अगर आप किसी विश या फिर विष से संबंधित किसी परेशानी से पीड़ित है, तो माना जाता है कि अगर आप यहां आकर इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं, तो आपको इस समस्या से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं शास्त्रों से हमें यह पता चलता है कि अगर कोई व्यक्ति इस ज्योतिर्लिंग के उत्पत्ति की कथा को पड़ता है, तो उस व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं, और उस व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो इसलिए अगर आप भी चाहते हैं कि आपको मोक्ष की प्राप्ति हो तो आप इस ज्योतिर्लिंग के उत्पन्न होने की कथा को विस्तार में इंटरनेट में पढ़ सकते हैं।
11: रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर (Rameswaram Jyotirlinga)
अगर बात करें रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर की, तो मैं आपको बता दू, कि हमारे भारत के तमिलनाडु राज्य के अंतर्गत रामनाथपुरम जिले में स्थित शिव जी को समर्पित एक मंदिर है, जोकि हमारे भारत देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सेकंड लास्ट यानी की 11वीं नंबर पर स्थापित है। इतना ही नहीं इसे हमारे भारत देश में चार धामों की यात्रा में से एक में शामिल भी किया जाता है, यानी कि यह बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध मंदिर है।
राम जी के द्वारा यहां शिवजी की पूजा की जाने के कारण इस जगह का नाम रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर पड़ा, कहा जाता है कि जब श्री राम जी ने रावण की हत्या की थी, तब वह ब्रह्म हत्या का दोष खत्म करने के लिए राम जी ने इसी स्थान पर शिवजी की पूजा करने का फैसला लिया था। क्योंकि यहां कोई भी मंदिर मौजूद नहीं था तो इसलिए राम जी ने हनुमान जी को कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाने को कहा था, लेकिन हनुमान जी को लौटने में देरी हो गई, इसलिए सीता जी ने स्वयं समुद्र तट की रेट से शिवलिंग का निर्माण किया जिससे की राम जी ने शिवलिंग की पूजा की जिसके वजह से इस ज्योतिर्लिंग और इस मंदिर का नाम रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर रखा गया। इतना ही नहीं, हनुमान जी के द्वारा कैलाश से लाया गया शिवलिंग भी यहां मौजूद है।
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12: घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneswar Jyotirlinga Temple)
दोस्तों अगर बात करें घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की, तो हम आपको बता दें कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग हमारे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से आखरी ज्योतिर्लिंग, है यानी कि यह बाहरवा ज्योतिर्लिंग है, जोकि हमारे भारत के महाराष्ट्र जिले के अंतर्गत औरंगाबाद में अजंता एवं एलोरा की गुफाओं के निकट में ही स्थित है।
कहां जाता है कि इस स्थान पर अगर कोई नि: संतान, संतान की प्राप्ति हेतु मनोकामना मांगता है, तो उसे बहुत ही जल्द संतान की प्राप्ति होती है।
अगर बात करें इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग होने की कथा की, तो बहुत समय पहले की बात है जब सुधर्मा और सुदेहा नाम के दो विवाहित जोड़े रहा करते थे, लेकिन उन्हें बस एक चीज का दुख था कि वह नि: संतान थे, उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी। जिसके बाद दुखी होकर ब्राह्मण की पत्नी सुदेह ने अपने पति सुधर्मा का विवाह अपनी छोटी बहन घुश्मा के साथ करवा दिया, घुश्मा शिव जी की बहुत बड़ी भक्त थी, कुछ दिनों में उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। ब्राह्मण और घुश्मा बहुत ही ज्यादा खुश हुए, लेकिन सुदेहा इस बात से खुश नहीं हुई, क्योंकि वह घुश्मा से जलने लगी थी, इसलिए उसने उस पुत्र की हत्या कर दी। सब लोगों ने उस बच्चे की मृत्यु का शोक मनाया, लेकिन घुश्मा ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि उसे मालूम था कि शिवजी कुछ ना कुछ जरूर करेंगे।
वह रोज की तरह ही तालाब में जाकर शिवजी की पूजा कर रही थी, कि तभी उसे तालाब से उसे उसकी पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसके बाद शिव जी ने घुश्मा को दर्शन दिए और उनसे कहा की कहो कि तुम क्या चाहती हो, जिसके बाद दुश्मन ने शिव जी को कहा कि मैं चाहती हूं कि आप हमेशा के लिए यहां निवास करें, और हम सभी का कल्याण करें। जिसके बाद शिव जी ने घुश्मा को उनका वरदान दिया, और इसी स्थान पर ज्योति के रूप में स्थापित हो गए, और घुश्मा के नाम पर ही इस मंदिर को हम घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जानते हैं।
तो दोस्तों यह थे वहां 12 ज्योतिर्लिंग जो कि हमारे देश के 12 विभिन्न विभिन्न जगहों में स्थापित है, तो उम्मीद है कि अब आपको हमारे देश के सभी ज्योतिर्लिंगों के बारे में पूरी जानकारी हो गई होगी। तो अगर आप चाहे तो इन स्थानों पर जाकर इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर सकते हैं।
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