महालक्ष्मी व्रत कथा, विधि, महत्व, उद्यापन – संपूर्ण जानकारी

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हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको महालक्ष्मी व्रत कथा के बारे में जानकारी देने वाले हैं । महालक्ष्मी का व्रत राधा अष्टमी से मतलब भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू हो जाता है । राधा अष्टमी के बाद 16 वें दिन इस व्रत का समापन किया जाता है । यह व्रत करने से भक्तों पर महालक्ष्मी की कृपा हो जाती हैं ‌। बहुत लोग महालक्ष्मी का व्रत पुरी श्रद्धा से और विधि विधान से करते हैं । महालक्ष्मी के व्रत में महालक्ष्मी के कथा वाचन का भी बहुत महत्व होता हैं । इस पोस्ट में हम आपको महालक्ष्मी व्रत कथा के बारे में जानकारी देने वाले हैं । महालक्ष्मी व्रत कथा की पुरी जानकारी प्राप्त होने के लिए हमारी यह पोस्ट अंत तक जरुर पढ़े ।

महालक्ष्मी व्रत कथा 1(Mahalaxmi Vrat Katha 1) –

‌गरीब ब्राम्हण

कथा शुरू होती है एक गांव में जहां एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बहुत मेहनती थी और घर की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन-रात काम करती थी। हालांकि, वे अपनी मुसीबतों से परेशान रहते थे क्योंकि उनके पास धन की कमी थी और उन्हें संकटों का सामना करना पड़ता था।

‌पंडित की सलाह

एक दिन, वह अपनी मुसीबतों को लेकर एक पंडित के पास गए और उनसे सलाह मांगी। पंडित ने उन्हें कहा, “तुम्हें लक्ष्मी माता के प्रति भक्ति बढ़ानी चाहिए। उनके लिए महालक्ष्मी व्रत का आयोजन करो और नियमित रूप से व्रत करो। वह तुम्हें धन और समृद्धि प्रदान करेंगी।”

महालक्ष्मी व्रत का आयोजन

ब्राह्मण और उनकी पत्नी ने पंडित की सलाह स्वीकार की और महालक्ष्मी व्रत का आयोजन किया। वे नियमित रूप से व्रत करने लगे और लक्ष्मी माता की पूजा और आराधना में लग गए।

‌धन संपत्ति में वृद्धि

महालक्ष्मी व्रत के दौरान उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे निरंतर अपनी पूजा करते रहे और धैर्य बनाए रखा। धीरे-धीरे, उनकी समस्याओं में सुधार हुआ और उनका धन संपत्ति में वृद्धि होने लगी। उनके घर में धन, समृद्धि, शांति और सुख की वृद्धि हो गई।

‌‌दान धर्म

ऐसे ही कुछ समय बाद, ब्राह्मण और उनकी पत्नी ने धन और समृद्धि से भरा हुआ जीवन जीना शुरू किया। वे दान और धर्म करने लगे और गरीबों की मदद करने में सक्रिय हो गए। उनके पास धन की अद्भुत संपत्ति थी, लेकिन वे सदैव संतुष्ट रहे।

‌महालक्ष्मी व्रत महात्यम

इस कथा से यह पता चलता है कि महालक्ष्मी व्रत के द्वारा व्यक्ति अपने जीवन में धन, समृद्धि, शांति और सुख की प्राप्ति कर सकता है। व्रत के नियमित आयोजन, लक्ष्मी माता की पूजा और अच्छे कर्मों का पालन उसकी समृद्धि में वृद्धि करने में सहायता करते हैं। व्रत का महत्व है कि व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है और उसे धैर्य, संतुष्टि और समर्पण की भावना प्रदान करता है।

महालक्ष्मी व्रत के लिए पूजा सामग्री:

पूजा के लिए आपको माला, सुपारी, नारियल, धूप, दीप, अगरबत्ती, बत्ती, कपूर, इलायची, लौंग, कुमकुम, हल्दी, गंध और फूल आदि की आवश्यकता होती है।

महालक्ष्मी व्रत कथा 2 (Mahalaxmi Vrat Katha 2)

यह बात बहुत पुरानी है । एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था । यह ब्राह्मण भगवान विष्णु की भक्ति करता था । वह नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करता था । एक बार भगवान विष्णु उस ब्राह्मण के ऊपर प्रसन्न हो गए और उस ब्राह्मण को वर मांगने को कहा । तब ब्राह्मण ने बताया कि माता लक्ष्मी का वास उनके घर में हो जाए । यह सुनने के बाद भगवान विष्णु ने उस ब्राह्मण को लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग बताया ।

भगवान विष्णु ने ब्राह्मण से कहा कि । इस मंदिर में एक स्त्री आती है और वह यहां आकर अकेले ही उपेले थोपती हैं । उसे अपने घर में आने के लिए निमंत्रण दो । वह स्त्री धन की देवी हैं । जब माता लक्ष्मी का तुम्हारे घर में आगमन होगा तब तुम्हारा घर धन धान्य से भर जाएगा । भगवान विष्णु यह कहकर ध्यानमग्न हो गए । जिस तरह से भगवान विष्णु ने कहा उसी तरह से ब्राम्हण अगले दिन सुबह चार बजे मंदिर के सामने बैठ गया । कुछ समय बाद माता लक्ष्मी उपले थापने वहां आई ।

ब्राम्हण ने उस स्त्री को अपने घर आने को कहां और लक्ष्मी जी को भी पता चला की यह सब भगवान विष्णु ने कहा हैं । उस वक्त माता लक्ष्मी ने कहां की तुम महालक्ष्मी व्रत करों । यह व्रत 16 दिन करों और 16 वें दिन रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य दो । इसके बाद तुम्हारे मनोरथ पुरे हो गए ।

इसके बाद ब्राम्हण ने लक्ष्मी माता का पुजन करके उत्तर दिशा की ओर मुंह किया और माता लक्ष्मी को पुकारा । माता लक्ष्मी उसके तपस्या से प्रसन्न हो गई और उन्होंने अपना वचन पुरा कर दिया । उस वक्त से यह व्रत पुरी श्रद्धा से किया जाता है । ऐसा करने के बाद व्यक्ती को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

महालक्ष्मी व्रत विधि (Mahalaxmi Vrat Vidhi)

• महालक्ष्मी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें ।

• अब पूजा स्थल को साफ करके सजाएं ।‌ चौकी पर एक पीले रंग का वस्त्र, एक सफेद वस्त्र या सोनेरी रंग के चादर का उपयोग करें।

• व्रत के दौरान माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः” और “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद स्वाहा”।

• लक्ष्मी माता की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं, धूप और अगरबत्ती दें। फूलों की माला और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और माता लक्ष्मी के सामने प्रणाम करें।

• व्रत कथा चालू करने से पहले इस व्रत का संकल्प लें और अपनी मनोकामना बोलें । अब जो महिला व्रत कर रही हैं उसको एक सफेद धागा लेकर उसको हल्दी लगानी हैं । अब उसमें 16 गांठें बांधनी हैं और वह धागा अपने हाथ में बांध लेना हैं ।

• एक लाल धागा लेकर उसको सोला गांठे बांधकर आपको घर के सभी लोगों के हाथ में बांधने के लिए देना हैं और यह धागा व्रत के सोलहवें दिन महालक्ष्मी माता के चरणों में चढ़ाना होता हैं ।

• व्रत के दौरान माता लक्ष्मी की कथा का पाठ करें। इसके बाद माता महालक्ष्मी की आरती किजिए । अब व्रत कथा का प्रसाद बांटें और सभी उपस्थित लोगों को खिलाएं।

• 16 दिन तक यह व्रत करने से और 16 वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी मनोकामना पूरी होती हैं ।

महालक्ष्मी व्रत का महत्व(Maha Laxmi Vrat ka Mahatva)

महालक्ष्मी व्रत एक प्रमुख हिन्दू व्रत है । जो देवी महालक्ष्मी की पूजा और अराधना करने के लिए किया जाता है। यह व्रत भारत देश में धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

धन और समृद्धि की प्राप्ति: महालक्ष्मी व्रत का मुख्य उद्देश्य धन और समृद्धि की प्राप्ति है। इस व्रत के द्वारा, लोग आपत्तियों से मुक्त होकर आर्थिक स्थिति में सुधार करने की कामना करते हैं। देवी लक्ष्मी की कृपा से, व्रत करने वाले व्यक्ति को समृद्धि, सौभाग्य, धन, ऐश्वर्य‌ की प्राप्ती होती है।

परिवारिक सुख और धार्मिकता: महालक्ष्मी व्रत को धार्मिकता और परिवारिक सुख को बढ़ाने का एक माध्यम माना जाता है। इस व्रत के द्वारा, परिवार के सदस्यों के बीच आपसी समझदारी, प्यार, और सहयोग का माहौल बना रखा जाता है। इसके अलावा, व्रत करने से आत्मविश्वास और सकारात्मकता भी बढ़ती है।

मानसिक और शारीरिक शुद्धि: महालक्ष्मी व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसके द्वारा हम अपने मानसिक और शारीरिक शुद्धि को बनाए रख सकते हैं। इससे हमारे जीवन की नकारात्मकता दुर हो जाती है ।

आध्यात्मिक विकास: महालक्ष्मी व्रत करने से हमारा आध्यात्मिक विकास होता है। देवी लक्ष्मी की पूजा और अराधना करने से हम अपने मन को शुद्ध और स्थिर रखकर आत्मज्ञान और समर्पण की अवस्था में पहुंचते हैं।

इस पोस्ट में हमने आपको महालक्ष्मी व्रत कथा के बारे में जानकारी दी । हमारी यह पोस्ट शेयर जरुर किजिए ।‌ धन्यवाद !

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