चीनी का रोजा का इतिहास & कैसे पहुंचे -संपूर्ण जानकारी

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तो दोस्तों स्वागत है आपका आज के हमारे एक और नए आर्टिकल में, आज के इस आर्टिकल में हम आपको फिर से एक इतिहास से संबंधित स्थान के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में जानने के बाद आपको बहुत ही ज्यादा आश्चर्य होगा, और आपको भी वहां जाकर उसको देखने का मन करेगा, और खासकर अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं, तो आज का यह आर्टिकल तो आपको बहुत ही ज्यादा पसंद आने वाला है, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको उस स्थान के पूरे इतिहास के बारे में भी जानकारी देने वाले हैं, तो चलिए आपकी एक्साइटमेंट को और ज्यादा नहीं बढ़ाते हैं और सीधे उस जगह के नाम के बारे में आपको बता देते हैं। तो दरअसल आज के इस आर्टिकल में हम आपको आगरा में स्थित चीनी रौजा के बारे में बताने वाले हैं, क्या आपने कभी इसके बारे में सुना है, अगर नहीं तो इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको इसके बारे में पूरी जानकारी हो जाएगी। यहां तक कि इसके इतिहास के बारे में भी आपको आज इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद पता चल जाएगा। वैसे तो आपको आगरा में बहुत सारी चीजें देखने को मिलेंगी, और सबसे बेहतरीन चीज की बात करें तो वह है ताजमहल, जो कि दुनिया के सात अजूबों में से एक है। लेकिन हम आपको बता दें कि आगरा सिर्फ ताजमहल के लिए ही फेमस नहीं है, यहां कई सारे इतिहास संबंधित स्मारक आपको देखने को मिलते हैं, उन्हीं में से एक है आगरा का यह चीनी रौजा। तो चलिए इस आर्टिकल में हम आपको चीनी के इतिहास तथा वहां पहुंचने के बारे में आपको पूरी जानकारी देते हैं, ताकि आपको वहां जाने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो।

चीनी का रोजा का इतिहास (Chini ka Rauza History in Hindi)

अगर बात करें चीनी रौजा की तो यह हमारे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख जिले आगरा में स्थित है, यह यमुना नदी के किनारे इतिमद उद दौला से भी 

पहले से मौजूद है। आपको यह तो मालूम ही होगा कि ताजमहल का निर्माण जो कि सात अजूबों में से एक है उसका निर्माण शाहजहा ने करवाया था, तो आज हम आपको उस रोजा के बारे में बताने वाले हैं, जिसकी सुंदरता को देखकर शाहजहां स्वयं दीवाने हो गए थे।

तो चलिए अब हम आपको यह बता देते हैं कि चीनी रोजा का निर्माण कब और किसने करवाया था। अगर बात करें कि इसका निर्माण किसने करवाया था, तो इसका निर्माण स्वयं शाहजहां के वजीर शुक्रुल्लाह शीराजी अफजल खां ‘अल्लामी ने करवाया था। इतिहासकारों का मानना है कि इस रोजा का निर्माण सन 1628 से लेकर 1639 के बीच में किया गया था। इसका निर्माण नीले कलर के टाइल्स का इस्तेमाल करके किया गया था। चीनी मिट्टी का इस्तेमाल करने की वजह से इसका नाम चीनी रोजा पड़ गया, नीले कलर का उपयोग करके बनाए जाने के कारण अपनी सुंदरता के लिए बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध था, और इसी की वजह से स्वयं शाहजहां भी इसकी सुंदरता के दीवाने हो गए थे। अगर इस रोजा के कारीगरी की बात करें तो यह ईरान में मौजूद काशीकरी नामा कारीगरी से बनाई गई है, जो आजकल विलुप्त हो गई है। और अगर इस कारीगरी के मौजूद स्मारकों की बात करें, तो यह इकलौता स्मारक भारत में बचा है जोकि काशीकारी कारीगरी से बनाया गया है। 1803 में इस रोजा का रखरखाव अंग्रेजों के प्राथमिकता में था, लेकिन सन 1935 में अंग्रेजी अफसरों ने इसकी रखरखाव की आलोचना की, और 1999 तक आते तक इस रोजे की हालत बहुत ही ज्यादा खराब हो चुकी थी। यहां किसान रहते थे और अपने बैलों को कब्र के पास ही बांधते थे। लेकिन थोड़े समय बाद भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन ने इसके स्थिति पर नाराजगी जताई, और इसके संरक्षण का कार्य शुरू किया। वैसे तो पहले यह अपनी चमक के लिए इतना ज्यादा प्रसिद्ध था कि शाहजहां ही इसके दीवाने हो गए थे, लेकिन आज के समय में इसकी हालत बहुत ही ज्यादा खराब है, इसकी चमक पूरी तरह से फीकी पड़ गई है, लेकिन हां यह आज भी आगरा में मौजूद है। अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं तो यहा घूमने के लिए आ सकते हैं। भले ही आज यहां नीले कलर की लगी हुई टाइल्स उखड़ गई है, और इसकी चमक फीकी पड़ गई है। लेकिन आज भी कई सैलानी ऐसे हैं जो इसे देखने के लिए यहां आते हैं, अगर आप भी इस में रुचि रखते हैं तो आपको यहां जरूर आना चाहिए।

चीनी का रोजा कैसे पहुंचे (Chini ka Rauza Kaise Phuche)?

बस से चीनी का रोजा कैसे पहुंचे (Bus se Chini ka Rauza Kaise Phuche)?

अगर आप यहां सड़क मार्ग से यात्रा करते हुए बस के माध्यम से पहुंचना चाहते हैं, तो हम आपको बता दें कि चीनी का रोजा हमारे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा में स्थित है, जो कि लगभग सभी प्रमुख शहरों के सड़क मार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए आपको उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग सभी जगहों से आगरा के लिए नियमित टूरिस्ट बस देखने को मिल जाएगी, जिसकी मदद से आप अपना सफर पूरा करके चीनी रोजा पहुंच सकते हैं।

ट्रेन से चीनी का रोजा कैसे पहुंचे (Train se Chini ka Rauza Kaise Phuche)?

अगर आप यहा ट्रेन के माध्यम से आने के बारे में सोच रहे हैं, तो यह आपके लिए सही विकल्प हो सकता है। क्योंकि आपको आगरा में रेलवे स्टेशन की भी सुविधा मिल जाती है, जोकि कैंट रेलवे स्टेशन है। अगर कैंट रेलवे स्टेशन से चीनी के रोजा की दूरी की बात की जाए, तो वह मात्र 10 किलोमीटर की है, जिसे पूरा करने के लिए आपको रेलवे स्टेशन से कैब और टैक्सी किराए पर मिल जाएगी, और अगर आपको आगरा के ईदगाह रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन मिलती है, तो आप ईदगाह रेलवे स्टेशन में भी आ सकते हैं, क्योंकि यहां से आपको चीनी रोजा की दूरी मात्र 8 किलोमीटर ही पड़ती है।

फ्लाइट से चीनी का रोजा कैसे पहुंचे (Airoplane se Chini ka Rauza Kaise Phuche)?

अगर आप फ्लाइट के माध्यम से आना चाहते हैं, तो इससे आपका बहुत ही ज्यादा समय बच सकता है। क्योंकि अगर इस रोजा के सबसे निकटतम एयरपोर्ट की बात करें, तो वह आगरा का खेरिया एयरपोर्ट है, जो कि इस चीनी रोजा से मात्र 11 किलोमीटर दूर है। तो इसकी दूरी भी आप टैक्सी या फिर कैब किराए में बुक करके पूरी कर सकते हैं।

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