मां विंध्यवासिनी मंदिर कहाँ पर स्थित है?
मां विंध्यवासिनी मंदिर उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में गंगा नदी के समीप विंध्य की पहाड़ियों में स्थित है। मान्यता के अनुसार देवी के 51 पीठों में यह शक्तिपीठ सृष्टि के निर्माण से पहले ही इस स्थान पर माँ विंध्यवासिनी की विंध्याचल मंदिर स्थापित की गयी थी,विंध्याचल मंदिर मे आने -जाने
वाले भक्तों को देवी के तीन रूपों देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती तथा महाकाली के दर्शन साथ मे मिल जाते थे,सिद्धि प्राप्ति के लिए यह स्थान बहुत ही प्रसिद्ध है।
मां विंध्यवासिनी मंदिर कहाँ पर स्थित है? | उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में गंगा नदी के समीप विंध्य की पहाड़ियों में है। |
विंध्यवासिनी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है? | विंध्याचल रेलवे स्टेशन है। |
विंध्याचल रेलवे स्टेशन से मां विंध्यवासिनी मंदिर की दूरी? | लगभग 1 किलोमीटर है। |
मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से विंध्याचल मंदिर की दूरी ? | 10 किलोमीटर है। |
नजदीकी हवाई अड्डा ? | लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट वाराणसी जिले में है |
त्रिकोण परिक्रमा | विंध्याचल मंदिर,मां काली, अष्टभुजा देवी मंदिर |
विंध्याचल मंदिर कैसे जाये (Vindhyavasini Devi Mandir Vindhyachal Kaise Phuche) –
विंध्याचल मंदिर (Vindhyavasini Devi Vindhyachal) जाने के लिये आप ट्रैन, टैक्सी, हवाईजहाज तथा बस से भी जा सकते है। यदि आपके शहर से विंध्याचल रेलवे स्टेशन जाने के लिए ट्रेन ना मिले तो आप मिर्जापुर, प्रयागराज या पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन जाकर वहां से ट्रेन पकड़ सकते हैं, इसके अलावा इन शहरों से दूसरी ट्रेन, बस या टैक्सी पकड़कर भी आप विंध्यांचल मंदिर जा सकते हैं।
आप विंध्याचल मंदिर जाने के लिए अपने शहर से टैक्सी बुक करके विंध्याचल मंदिर पहुंच सकते है। इसके अलावा आप विंध्याचल मंदिर जाने के लिए अपने शहर से विंध्याचल जाने वाली बस मे टिकट करवाकर 1से 2 दिन के अंदर विंध्याचल मंदिर पहुंच सकते है।
ट्रेन से मां विंध्यवासिनी मंदिर कैसे जाए (Train se Maa Vindhyavasani mandir kaise jaye)?
विंध्याचल मंदिर जाने के लिये आपको अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन से मिर्जापुर रेलवे स्टेशन या विंध्याचल रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़नी होगी। मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से विंध्याचल मंदिर की दूरी 10 किलोमीटर के आसपास है। आप मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से ही टैक्सी या मिनी बस पकड़कर विंध्याचल मंदिर जा सकते हैं।
मां विंध्यवासिनी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है (Maa Vindhyavasani Mandir Ka nearest railway station kon sa hai)?
विंध्याचल रेलवे स्टेशन ही मां विंध्यवासिनी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन है।
विंध्याचल रेलवे स्टेशन से मां विंध्यवासिनी मंदिर की दूरी कितनी है (Vindhyachal Railway station se Vindhyavasani Mandir ki duri) ?
विंध्याचल रेलवे स्टेशन से मां विंध्यवासिनी मंदिर की दूरी लगभग 1 किलोमीटर है।
मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से विंध्याचल मंदिर की दूरी (Mirzapur Railway station se Vindhyachal Mandir ki Duri) ?
मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से विंध्याचल मंदिर की दूरी 10 किलोमीटर है जो की आप बस ,ऑटो या टैक्सी कर सकते है।
बस से मां विंध्यवासिनी मंदिर कैसे जाएं (Bus se Maa Vindhyavasani mandir kaise jaye )?
मां विन्ध्यवासिनी मंदिर विंध्याचल धाम जाने के लिए आप अपने नजदीकी बस स्टॉप से उत्तर प्रदेश के जिला मिर्जापुर के लिए बस पकड़ सकते हैं। मिर्जापुर बस स्टैंड से मंदिर की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है। जिसके लिए आप टैक्सी या ऑटो और रिक्शा कर सकते हैं।
हवाई जहाज से मां विंध्यवासिनी मंदिर कैसे जाएं (Airoplane se Maa Vindhyavasani mandir kaise jaye )?
अगर आप मिर्जापुर से काफी दूर रहते हैं, तो मंदिर में दर्शन के लिए आप हवाई जहाज से भी आ सकते हैं। मिर्जापुर का नजदीकी हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट वाराणसी जिले में है,जो कि मिर्जापुर से मात्र 45 किलोमीटर दूर है। यहां से आप बस या टैक्सी पकड़कर आसानी से मंदिर जा सकते हैं।
मिर्जापुर शहर में मां विंध्यवासिनी मंदिर (Vindhyavasini Devi Vindhyachal) जाने के लिए आपको टैक्सी, ऑटो, बस, मिनी बस तथा सिटी बस भी आसानी से मिल जाएगी।जोकि बहुत कम किराये पर आपको मंदिर तक पंहुचा देगी।
विंध्याचल मंदिर खुलने का समय –
- विंध्याचल मंदिर खुलने का समय सुबह 5बजे से लेकर दोपहर 12बजे तक होता है।
- इसके बाद दोपहर 1:30 से 7:15 तक मंदिर खुला रहता है।
- रात के 8:15 से लेकर रात 10:15 तक मंदिर खुला रहता है।
विंध्याचलवासिनी माता मे त्रिकोण परिक्रमा कैसे करे –
विंध्याचल पर्वत में माता आदिशक्ति दुर्गा पूर्ण रूप से विराजमान है जिनके 3 मंदिर अलग अलग कोने में स्थित है और यह तीनों मंदिर 4 किलोमीटर के दायरे में आते हैं विंध्याचल त्रिकोण परिक्रमा में तीनो मंदिरों की परिक्रमा होती है इन तीनों मंदिरों की परिक्रमा से ही विंध्याचल धाम यात्रा पूर्ण मानी जाती है।
विंध्याचल पर्वत में तीन देवियों के त्रिकोण दर्शन और परिक्रमा का विशेष महत्व महात्म्यपुराणों में मिलता है यहां देश के कोने कोने से लाखों की तादात में भक्त माता रानी के दर्शन के लिए आते हैं और तीनो देवियों से बने त्रिकोण की परिक्रमा भी करते हैं परिक्रमा को शुरू करने से पहले श्रद्धालु मंदिर के बगल में बह रही पवित्र गंगा में स्नान करके ही मां विंध्यवासिनी के स्वरूप के दर्शन के लिए जाते हैं।
मंदिर के दर्शन के पश्चात श्रद्धालु विंध्याचल मंदिर से 3 किलोमीटर दूर स्थित मां काली के दर्शन के लिए काली खोह की ओर जाते हैं और जंगल के रास्ते में ही मां काली गुफा के दर्शन भी करते हैं काली का मंदिर वहां से ढाई किलो मीटर की दूरी पर है इसके पश्चात श्रद्धालु अष्टभुजा देवी मंदिर के दर्शन के लिए जाते हैं यह मंदिर काली गौर से 4 किलोमीटर की दूरी पर है जो भी भक्त विंध्याचल त्रिकोण की परिक्रमा करते हैं तो उन भक्तों को दोगुना फल की प्राप्ति होती है।
विंध्याचल मे घूमने लायक जगहे (Vindhyachal mai Ghumne ki Jagah)-
विंध्याचल के दर्शन करने के बाद यदि आप यहां पर घूमना चाहते है तो विन्ध्यासनी देवी मंदिर के आस-पास कई पर्यटन स्थल है –
रामगया घाट (Ram Gaya Ghat)-
विंध्याचल मे सबसे प्रसिद्ध जगह रामगया घाट है जो विंध्याचल मंदिर से लगभग 2किलोमीटर की दूरी पर स्थित है,भगवान राम अपने माता -पिता की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए रामगया घाट आये थे, रामगया घाट पर्यटनो क़ो अपनी ओर आकर्षित करने वाली जगह है।
सीताकुंड (Sita Kund)-
विंध्याचल मे घूमने लायक सबसे अच्छी जगह सीता कुंड है, राम वनवास के दौरान ज़ब सीता माता क़ो प्यास लगी थी तो लक्ष्मण ने सीता कुंड मे ही अपने तीर से जमीन मे छेद किया था जिससे पानी निकलने लगा था और सीता माता ने इसी जल क़ो पीकर अपनी प्यास बुझायी थी, तभी से यह जगह सीता कुंड के नाम से प्रसिद्ध हुयी है।
मां विन्ध्यवासिनी मंदिर विंध्याचल धाम का इतिहास –(Vindhyavasini Devi Vindhyachal History and Story in Hindi)
विंध्याचल और माँ देवी विंध्यवासिनी की उदारता का उल्लेख भारत वर्ष के कई प्राचीन शास्त्रों और ग्रंथो में लिखा गया है। इनमे से कुछ विशेष ग्रन्थ लिखें गये है जैसे कि मत्स्य पुराण, राजा तरंगिनी, बृहत् कथा,वामन पुराण, मार्कंडेय पुराण, महाभारत, देवी भागवत, हरिवंश पुराण, स्कंद पुराण, कदंब्री आदि मे मां विन्ध्यवासिनी मंदिर विंध्याचल धाम का विस्तृत वर्णन किया गया है।खास तौर पर मार्कंडेय पुराण में देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध के बारे मे विस्तार पूर्वक लिखा गया हैं। विंध्याचल मंदिर (Vindhyavasini Devi Vindhyachal) के इतिहास पर नजर डालते हुये हमें कई प्राचीन कथाओं का वर्णन मिल जाएगा।
माँ विंध्यवासिनी की उत्पति कैसे हुई –
मार्कंडेय पुराण में माँ विंध्यवासिनी (Vindhyavasini) के बारे मे बताया गया है कि माँ विंध्यवासिनी यशोदा और नन्द के घर जन्म ली थी। माँ विंध्यवासिनी के जन्म से जुडी जानकारी देवी दुर्गा ने अपने जन्म से पहले ही सभी देवी-देवताओं को दी थी। देवी विंध्यवासिनी ने ठीक उसी दिन जन्म हुआ था, जिस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। आकाश से हुई भविष्यवाणी के अनुसार कंस की मृत्यु देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के हाथों लिखी थी,इस बात का भय कंस क़ो था, कंस ने अपने ही बहन की 8वीं संतान को मारने लिए तैयार की थी।
कंस अपनी बहन देवकी की आठवीं संतान के जन्म लेने के इन्तजार में था, लेकिन भगवान की माया ने सारा खेल ही पलट दिया। श्री कृष्ण को कंस से बचाने के लिए माँ यशोदा और नन्द के घर जन्म लेने वाली पुत्री विंध्यवासिनी देवी को देवकी की गोद में डालकर वहीँ कृष्ण क़ो यशोदा और नंद की गोद मे डाल दिया।
देवकी की आठवीं संतान होने की खबर सुनते ही कंस कारागार पहुंचा क्योंकि 8वीं संतान के हाथो कंस की मृत्यु निश्चित थी,जब कंस कारागार पहुंचा तो उसे पता चला कि पुत्र ने नहीं पुत्री ने जन्म लिया है तो कंस को थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन उसे लगा कि 8वीं संतान ही फिर चाहे वह पुत्र हो या पुत्री फिर जैसे ही कंस ने उस कन्या को मारने की कोशिश की वह कन्या दुर्गा का विकराल रूप धारण करके कंस के सामने आ गयी,और कंस डर गया इस प्रकार से कंस को गुमराह करने के लिए विंध्याचल देवी ने देवकी और वासुदेव के घर जन्म लिया था।
निष्कर्ष (conclusion )-
हमने इस आर्टिकल के माध्यम से मां विन्ध्यवासिनी मंदिर विंध्याचल धाम से जुडी हर एक जानकारी दी है, जिसमे हमने बताया है कि विंध्याचल कैसे जाये,माँ विंध्यवासिनी की उत्पति कैसे हुई, विंध्याचलवासिनी माता मे त्रिकोण परिक्रमा कैसे करे तथा विंध्याचल मंदिर के खुलने का समय आदि सब कुछ बताया है, आप इस आर्टिकल क़ो पढ़कर विंध्याचल मंदिर से जुडी जानकारी प्राप्त कर सकते है।
MAA Vindhyavasini Devi Vindhyachal Photos