करणी माता मंदिर का इतिहास और कैसे पहुंचे -संपूर्ण जानकारी

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क्या आप राजस्थान के करणी माता मंदिर जाने के बारे में विचार कर रहे हैं। तो आज हम आपको बताने वाले है कि आप कैसे राजस्थान में स्थित करणी माता के मंदिर जा सकते हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको आपके सफर के लिए पूरी तरह से गाइड करने वाले हैं, कि आप किस प्रकार से और किस किस साधन से राजस्थान के करणी माता मंदिर जा सकते हैं। साथ ही साथ इस आर्टिकल में हम आपको इस मंदिर के इतिहास से भी वाकिफ करवाने वाले हैं, ताकि आप इस मंदिर के बारे में और भी ज्यादा जान सके  तो चलिए शुरू करते हैं।

करणी माता मंदिर का इतिहास (Karni Mata Mandir History in Hindi)

यह मंदिर हमारे भारत के राजस्थान में बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित एक करणी माता का मंदिर, जो कि करणी माता को ही समर्पित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया गया था। 

कहा जाता है कि करणी माता स्वयं साक्षात दुर्गा मां का ही रूप है। इनके जन्म के पीछे की कहानी बहुत ही ज्यादा रोचक और पुरानी है। कहा जाता है कि 1887 ईस्वी में करणी माता का जन्म एक शाही परिवार में हुआ था। तब इनका नाम रिघुबाई था। उनके शादी के बाद इनका सांसारिक मोह माया से ध्यान हट गया था, और उन्होंने यह निश्चय किया कि अब घर छोड़कर एक तपस्वी जीवन यापन करेगी।

लोगों का कहना है कि करणी माता 151 साल की उम्र तक जीवित रही थी। उस समय इनकी चमत्कारिक शक्तियों की बात फैल चुकी थी, जिसकी वजह से दूर-दूर से भक्त इनके पास इनके दर्शन के लिए आते थे, और आज तक इनकी पूजा की जाती है।

इस मंदिर के बारे में हम आपको एक और चीज बताना चाहेंगे, कि इस मंदिर को मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस मंदिर के अंदर लगभग 25000 से भी ज्यादा चूहे मौजूद हैं। लेकिन आज तक कोई भी यह नहीं बता पाया कि, यहां इतने सारे चूहे होने का क्या कारण है। लोगों का मानना है कि यह करणी माता के ही वंशज हैं, जो कि यहां रहते हैं, और कहा जाता है कि अगर भक्तों को इस मंदिर में सफेद रंग के चूहे के दर्शन हो गए, तो वह उनके लिए बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है।

करणी माता मंदिर के दर्शन कैसे करे?

अगर आपको त्यौहार और मेले आयोजन पसंद है, तो हम आपको कहेंगे कि आपको करणी माता मंदिर के दर्शन के लिए मार्च-अप्रैल या फिर सितंबर अक्टूबर के समय जान चाहिए। क्योंकि इस समय यहां त्योहारों एवं बड़े बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। जिससे कि यहां का नजारा देखने लायक होता है।

लेकिन अगर आपको ज्यादा भीड़ पसंद नहीं है तो आप बाकी समय कभी भी यहां मंदिर दर्शन के लिए जा सकते हैं। अगर मंदिर के खुलने के समय की बात की जाए तो यह मंदिर सुबह 5:00 बजे खुल जाता है, और अगर इस मंदिर के बंद होने के समय की बात की जाए तो यह मंदिर रात के 10:00 बजे बंद कर किया जाता है।

तो आप अगर इस समय के बीच में आते हैं तो आप आसानी से देवी के दर्शन कर सकते हैं। साथ ही साथ हम आपको यह भी बता दें कि, इस मंदिर में दर्शन के लिए आपको किसी भी प्रकार के शुल्क का भुगतान करना नहीं पड़ता है। यहा देवी के दर्शन पूरी तरह से निशुल्क है। इसलिए किसी भी प्रकार के शुल्क का भुगतान ना करें।

करणी माता मंदिर कैसे पहुंचे (Kerni Mata Mandir Kaise Phuche)?

बस से करणी माता मंदिर कैसे पहुंचे (Bus se Kerni Mata Mandir kaise phuche) ?

जैसा कि आपको यह तो मालूम ही है कि करणी माता मंदिर बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। तो अगर आपने सड़क मार्ग से बस से आने का चुनाव किया है, तो आपको बीकानेर के लिए प्रमुख शहरों से आसानी से सीधी बसे देखने को मिल जाएगी। जिसका चुनाव आप बीकानेर तक आने के लिए कर सकते हैं। उसके बाद आप टैक्सी या फिर कैब बुक करके करणी माता मंदिर पहुंच सकते हैं।

ट्रेन से करणी माता मंदिर कैसे पहुंचे (Train se Karni Mata mandir Kaise Phuche)?

अगर आप ट्रेन से आने के बारे में सोच रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि बीकानेर में ही एक रेलवे स्टेशन मौजूद है, जोकि लगभग सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। तो आप बीकानेर रेलवे स्टेशन का चुनाव कर सकते हैं। रेलवे स्टेशन आने के बाद आप टैक्सी या फिर कैब बुक करके करणी माता के मंदिर जा सकते हैं।

फ्लाइट से करणी माता मंदिर कैसे पहुंचे (Airo plane se Karni Mata mandir kaise phuche)?

अगर आप फ्लाइट की मदद से आ रहे हैं तो आप उदयपुर एयरपोर्ट में लैंड कर सकते हैं। अगर उदयपुर एयरपोर्ट से इस मंदिर की दूरी की बात की जाए, तो दोनों के बीच लगभग 24 से 25 किलोमीटर का डिस्टेंस है। जिसे पूरा करने के लिए आप टैक्सी या फिर कैब का इस्तेमाल कर सकते है।

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