देवीपाटन मन्दिर का इतिहास और कैसे पहुंचे – संपूर्ण जानकारी

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क्या आप उत्तर प्रदेश में स्थित देवीपाटन मंदिर के बारे में जानते हैं। जी हा आपने सही समझा। यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से ही एक शक्तिपीठ है। जोकि पाटेश्वरी देवी को समर्पित है। तो आज इस आर्टिकल में हम आपको देवीपाटन मंदिर पहुंचने तथा मंदिर जाकर देवी के दर्शन करने के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। साथ ही साथ इस आर्टिकल में हम आपको इस मंदिर के इतिहास के बारे में भी कुछ जानकारी देने वाले हैं। ताकि आपको इस मंदिर के रहस्य के बारे में भी पता चल सके। तो चलिए आज का हमारा यह आर्टिकल शुरू करते है।

देवीपाटन मन्दिर का इतिहास (Devi Patan Mandir History in Hindi)

वैसे तो आपको भारत के 51 शक्तिपीठों के बनने का कारण तो मालूम ही होगा। अगर आपको नहीं मालूम है तो चलिए हम आपको एक छोटी सी कथा के माध्यम से समझाते हैं कि आखिर भारत के शक्तिपीठों का निर्माण और आखिर यह देवीपाटन मंदिर का निर्माण क्यों और कैसे हुआ।

भगवान शंकर की पत्नी सती माता के पिताजी दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ का आयोजन किया था। जिसमें उन्होंने सभी देवी देवताओं को बुलाया, लेकिन उन्होंने उसमें शिवजी को आमंत्रित नहीं किया, और जब सती माता ने यज्ञ में पहुंचने के बाद उनसे पुछा की आपने भगवान शंकर को यज्ञ में आमंत्रित क्यों नहीं किया है, तो उन्होंने भगवान शंकर के बारे में बहुत ही ज्यादा भला बुरा कह दिया था। जिससे कि सती माता बहुत ही ज्यादा दुखी हो गई थी, और इसी कारण उन्होंने अपने आपको उस जलते हुए यज्ञ मे झोक दिया। जिसके बाद जब यह बात शिवजी को पता चली तो वह बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो गए, और वे सती माता के आधे जले शरीर को लेकर तांडव करना शुरू कर दिया, और जिस जिस स्थान पर सती माता के अंग गिरे उस स्थान पर भारत के 51 शक्तिपीठों का निर्माण किया गया, और मान्यता है कि जिस स्थान पर आज है देवीपाटन मंदिर स्थित है, उस स्थान पर देवी के वाम स्कंध पाटम्बर अंग आकर गिरा। इसलिए इस मंदिर का नाम देवीपाटन मंदिर रखा गया, और इसी वजह से इस मंदिर का निर्माण इस स्थान पर हुआ।

यह तो हुई इस मंदिर के इतिहास की बात। तो चलिए इस मंदिर में कुछ खास बातों के बारे में भी जान लेते हैं। इस मन्दिर की खास बात यह है की

यहां आज भी भक्तों में प्रसाद बांटने से पहले पशु पक्षियों को खाने दिया जाता है। पशु पक्षियों के खाने के बाद ही तो प्रसाद को भक्तों में वितरण किया जाता है। क्योंकि उनका मानना है कि पशु पक्षियों में भी भगवान का वास होता है।

 एक और इस मंदिर की खास बात यह है कि, देवीपाटन मंदिर के गर्भ के नीचे एक पताल लोक तक की एक सुरंग बनी हुई है, जहां त्रेतायुग से जलती आ रही एक ज्योति मौजूद है, इसकी मान्यता है कि उसमें साक्षात दुर्गा मां की शक्तियां मौजूद है।

देवीपाटन मंदिर के दर्शन कैसे करे (Devi Patan Mandir ke Darshan Kaise Kare)?

चलिए अब यह जानते हैं कि अगर आप देवीपाटन मंदिर आए हुए हैं तो आप कैसे देवी के दर्शन कर सकते हैं।

वैसे तो आपको यहां देवी के दर्शन करने के लिए ज्यादा कुछ खास बातों का ध्यान रखने की जरूरत नहीं है। बस आपको मंदिर के खुलने और बंद होने के समय को ध्यान में रखना होगा, ताकि आप सही समय में इस मंदिर में पहुंचकर देवी के दर्शन कर सकें।

देवीपाटन मंदिर खुला है कि नहीं ( मंदिर के खुलने का समय )

अगर इस मंदिर के खुलने के समय की बात की जाए, तो यह मंदिर सुबह भक्तों के लिए 6:00 बजे खुल जाता है; और अगर इसके बंद होने की बात करें, तो यह रात 8:00 बजे बंद हो जाता है। तो अगर आप सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे के बीच यहां आए, तो आप आसानी से देवी मां के दर्शन कर सकते हैं।

देवीपाटन मंदिर कैसे पहुचे (Devi Patan Mandir Kaise Phuche)?

बस से देवीपाटन मंदिर कैसे पहुचे ?

देवीपाटन मंदिर किस जिले में है ?

यह मंदिर तुलसीपुर में स्थित है, और यह बलरामपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है, और बलरामपुर प्रमुख शहरों से सड़क माध्यम से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। तो अगर आप बस से आने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको बलरामपुर के लिए लगभग सभी प्रमुख शहरों से सीधी बसें देखने को मिल जाएगी, और हो सकता है कि आपको बलरामपुर से भी तुलसीपुर के लिए बसें देखने को मिल जाए।

ट्रेन से देवीपाटन मंदिर कैसे पहुचे (Train se Devi Patan Mandir Kaise Phuche)?

अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं, तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन तुलसीपुर रेलवे स्टेशन है। जहां से इस मंदिर की दूरी मात्र 1.5 किलोमीटर है। जिसका सफर आप पैदल भी चलकर पूरा कर सकते हैं, और चाहे तो आप ऑटो या रिक्सा भी ले सकते हैं। अगर आप चाहे तो गोंडा रेलवे स्टेशन में भी आ सकते हैं, क्योंकि गोंडा रेलवे स्टेशन के लिए आपको लगभग सभी शहरों से ट्रेनें देखने को मिल जाएगी। अगर गोंडा रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी की बात की जाए, तो दोनों के बीच लगभग 68 किलोमीटर का डिस्टेंस है।

देवीपाटन मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है ?

तुलसीपुर और गोंडा रेलवे स्टेशन देवीपाटन मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन है।

तुलसीपुर रेलवे स्टेशन से देवीपाटन मंदिर की दूरी कितनी है ?

तुलसीपुर रेलवे स्टेशन से देवीपाटन मंदिर की दूरी 1.5 किलोमीटर है ?

गोंडा रेलवे स्टेशन से देवीपाटन मंदिर की दूरी कितनी है ?

गोंडा रेलवे स्टेशन से देवीपाटन मंदिर की दूरी लगभग 68 किलोमीटर है

फ्लाइट से देवीपाटन मंदिर कैसे पहुचे ?

अगर आप फ्लाइट से आ रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर का सबसे निकटतम एयरपोर्ट जो है, वह है लखनऊ एयरपोर्ट। जहां से आपको लगभग सभी प्रमुख शहरों से फ्लाइट देखने को मिल जाएगी। अगर इस एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी की बात की जाए, तो वह लगभग 193 किलोमीटर की है। जिसके लिए आप बस या फिर टैक्सी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

F.A.Q

गोंडा से देवीपाटन मंदिर की दूरी ?

गोंडा से देवीपाटन मंदिर की दूरी 70 किलोमीटर है ?

अयोध्या से देवीपाटन की दूरी ?

अयोध्या से देवीपाटन की दूरी 70 किलोमीटर है ?

लखनऊ से देवीपाटन की दूरी ?

लखनऊ से देवीपाटन की दूरी 178 किलोमीटर है ?

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