तो दोस्तों क्या आपने वाराणसी में स्थित दशाश्वमेध घाट के बारे में कभी सुना है। अगर आपको दशाश्वमेध घाट के बारे में पता है, तो आपको इसके महत्व और इतिहास के बारे में भी पता होगा। लेकिन अगर आपको इसके बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको वाराणसी में स्थित दशाश्वमेध घाट के बारे में ही पूरी जानकारी देंगे। आज हम आपको बताएंगे कि दशाश्वमेध घाट कहां हैं, और यह क्यों प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं, हम आपको इसके इतिहास से भी वाकिफ करवाएंगे, ताकि आपको इसके बारे में पूर्ण जानकारी हो सके, और तो और अगर आप यहां जाकर इसके दर्शन करना चाहे, तो हम आपको यहां पहुंचने के बारे में भी पूरी जानकारी देंगे। इसलिए आज के इस आर्टिकल में आपके लिए बहुत कुछ है, तो इसे आखिरी तक जरूर पढ़ें। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं।
दशाश्वमेध घाट कहां स्थित है (Dashavmegh Ghat Kha Hai) ?
जैसा कि इसे दशाश्वमेध घाट वाराणसी के नाम से जाना जाता है, तो इससे हमें यह तो पता चल जाता है कि यह वाराणसी में स्थित है, अगर इसकी करेक्ट पोजीशन की बात करें, तो हम आपको बता दें कि यह हमारे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत वाराणसी के अंतर्गत गंगा नदी के तट पर गोदौलिया में बसा हुआ है। यह वाराणसी का बहुत ही प्रमुख घाट है, जो कि वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर के करीब में स्थित है। कहा जाता है कि यह घाट उस स्थान पर बना हुआ है, जहां पर स्वयं ब्रह्मा जी ने शिव जी के स्वागत के लिए 10 अश्वमेध यज्ञ किए थे, और 10 घोड़ों की बलि दी थी। और हम आपको बता दें कि दशाश्वमेध का अर्थ ही होता है 10 गुणों की बलि देना। इसलिए इस स्थान को बहुत ही ज्यादा पवित्र माना जाता है, हजारों की संख्या में लोग यहां आते हैं, और इस घाट में स्नान करने के बाद पवित्र हो जाते हैं। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको इस घाट के बारे में कुछ इतिहास से जुड़ी बातों के बारे में बता देते हैं, ताकि आपको इसके बारे में और भी जानकारी हो जाए।
दशाश्वमेध घाट का इतिहास (Dashavmegh Ghat History in Hindi)
तो दोस्तों अगर बात करें दशाश्वमेध घाट के इतिहास की, तो हम आपको बता दें की इसका इतिहास बहुत ही पुराना है, इसके के बनने के पीछे अलग-अलग पौराणिक कथा है। एक पौराणिक कथा से हमें पता चलता है कि जिस स्थान पर अभी यह घाट मौजूद है, उस स्थान पर राजा देवदास द्वारा 10 अश्वमेध यज्ञ करवाए गए थे, इसलिए इस स्थान पर इस घाट का निर्माण हुआ, और इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट रखा गया। एक और कहानी यह बताती है, कि इस स्थान पर नागवंशी राजा वीरसेन ने चक्रवर्ती बनने हेतु स्थान पर अश्वमेध यज्ञ किया था, इसलिए इस स्थान पर इस घाट का निर्माण हुआ और इस घाट का नाम अश्वमेध घाट रखा गया। लेकिन सबसे प्रसिद्ध जो कहानी है, वह यह है कि इस स्थान पर स्वयं ब्रह्मा जी ने शिव जी के स्वागत के लिए दशाश्वमेध यज्ञ किए थे, और इसी स्थान पर 10 घोड़े का बलिदान दिया था। इसलिए इस जगह का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा। दोस्तों हम आपको बता दें कि वाराणसी में लगभग 84 घाट है, लेकिन 84 घाट में इस घाट की प्रसिद्धि अलग ही ऊंचाइयों पर है, क्योंकि यह घाट वाराणसी के 5 तीर्थ घाटों में से एक है, साथ ही साथि यह घाट यह सुबह और शाम को होने वाली गंगा आरती के कारण बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है, जिसमें के लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं, और गंगा आरती में शामिल होते हैं। तो अगर आप भी वाराणसी गए हुए हैं, और वहां की हर एक जगह घूमना चाहते हैं, तो आपको शाम के समय में दशाश्वमेध घाट में होने वाली गंगा आरती में जरूर शामिल होना चाहिए। 1929 में रानी पुटिया के मंदिर की खुदाई करने पर यहां से कई यज्ञकुंड निकले जो की इस बात का प्रमाण है कि यहां पर अश्वमेध यज्ञ किया गया था। अगर बात करें इस घाट का निर्माण किसने करवाया था, तो हम आपको बता दे कि वर्तमान समय में स्थित दशाश्वमेध घाट का निर्माण सन 1748 में पेशवा बालाजी बाजीराव ने करवाया था, इसके बाद अहिल्याबाई होल्कर ने सन 1774 में इस घाट का पुन: निर्माण करवाया। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि अगर आप यहां आना चाहें, तो आप किस प्रकार से किन किन साधनों से यहां पहुंच सकते हैं।
दशाश्वमेध घाट कैसे पहुंचे।
दोस्तों जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि यह वाराणसी के बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध घाटों में से एक है, और यह यहां सुबह और शाम के समय होने वाली गंगा आरती के लिए बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। तो अगर आप भी वाराणसी जाकर यहां होने वाले गंगा आरती में शामिल होना चाहते हैं, और एक अलग ही स्थिति का अनुभव करना चाहते हैं। तो चलिए आपको हम दशाश्वमेध घाट पहुंचने के बारे में पूरी जानकारी दे देते हैं।
बस से दशाश्वमेध घाट कैसे पहुंचे (Dashavmegh Ghat Kaise Phuche By Bus)?
तो दोस्तों अगर आप सड़क मार्ग से यात्रा करते हुए बस के माध्यम से वाराणसी में स्थित इस घाट तक पहुंचना चाहते हैं, तो हम आपको बता दें कि यह घाट वाराणसी और गंगा के प्रमुख घाटों में से एक है, इतना ही नहीं यह वाराणसी के पंचतीर्थ घाटों में से भी एक है। तो ऐसे में अगर आप बस से यहां जाना चाहे, तो इसके लिए सबसे पहले आपको वाराणसी जाना होगा। जिसके लिए आपको उत्तर प्रदेश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से बसें मिल जाएगी। अगर आप उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रमुख राज्य जैसे कि राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, जैसे राज्यों से आ रहे हैं, तो भी आपको वाराणसी के लिए सीधी बस में मिल जाएंगे, जिससे कि आप वाराणसी पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि दशाश्वमेध घाट वाराणसी में गोडोविलिया में स्थित है, रही बात वाराणसी से गोडोविलिया की दूरी की, तो वह मात्र 6 से 7 किलोमीटर की है, जिसे पूरा करने के लिए आप ऑटो या टैक्सी की मदद ले सकते हैं। हम आपको एक और बात बता दें, की गोदौलिया से आपको घाट तक पैदल ही जाना होगा, क्योंकि घाट में वाहनों की अनुमति नहीं होती।
ट्रेन से दशाश्वमेध घाट कैसे पहुंचे (Dashavmegh Ghat Kaise Phuche By Train)?
दोस्तों अगर आप ट्रेन के माध्यम से इस घाट तक पहुंचना चाहते हैं, तो हम आपको बता दें कि वाराणसी में ही कैंट रेलवे स्टेशन मौजूद है, जो कि देश के लगभग सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन और शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। तो ऐसे में अगर आप अपने शहर से ट्रेन के माध्यम से आना चाहते हैं, तो आप वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन में ट्रेन लेकर आ सकते हैं। अगर बात करें वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन से अश्वमेध घाट की दूरी की, तो दोनों के बीच में सिर्फ 7 किलोमीटर का डिस्टेंस है, जिसे पूरा करने के लिए आप रेलवे स्टेशन से ही टैक्सी या फिर कैब किराए पर बुक कर सकते हैं, और 10 मिनट में ही घाट तक पहुंच सकते हैं।
वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन से अश्वमेध घाट की दूरी ?
वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन से अश्वमेध घाट की दूरी सिर्फ 7 किलोमीटर है ।
दशाश्वमेध घाट निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है ?
दशाश्वमेध घाट का निकटतम रेलवे स्टेशन वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन है।
फ्लाइट से दशाश्वमेध घाट कैसे पहुंचे (Dashavmegh Ghat Kaise Phuche By Airoplane)?
तो दोस्तों अगर आप फ्लाइट के माध्यम से अगर वाराणसी जाकर घाट तक जाना चाहते हैं, तो हम आपको बता दें कि फ्लाइट के माध्यम से भी वाराणसी पहुंचने में आपको किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। क्योंकि आपको इस घाट के पास में ही यानी कि बाबतपुर में लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट देखने को मिल जाता है, जो कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट होने के कारण लगभग सभी प्रमुख शहरों से फ्लाइट की मदद से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। तो आप किसी भी प्रमुख शहर से फ्लाइट लेकर यहां आ सकते हैं। अगर बात करें इस एयरपोर्ट से दशाश्वमेध घाट की दूरी की, तो दोनों के बीच सिर्फ 24 से 25 किलोमीटर का डिस्टेंस है, जिसे पूरा करने के लिए आप एयरपोर्ट से ही टैक्सी बुक कर सकते हैं, और 1 घंटे से भी कम समय में घाट तक पहुंचकर घाट के दर्शन करके आरती में शामिल हो सकते हैं।
दशाश्वमेध घाट के दर्शन करने हेतु समय और प्रवेश शुल्क
दोस्तों कई लोगों के दिमाग में यह सवाल आता है, कि अगर हम वाराणसी में जाकर दशाश्वमेध घाट के दर्शन करेंगे, तो उसका समय क्या होगा और हमें कितना प्रवेश शुल्क का भुगतान करना होग। तो उन लोगों के लिए हम आपको बता दें, कि वाराणसी में स्थित यह दशाश्वमेध घाट में आप किसी भी समय जाकर दर्शन कर सकते हैं, यह 24 घंटे खुला रहता है, और रही बात प्रवेश शुल्क की, तो इसमें आपको किसी भी तरह के प्रवेश शुल्क का भुगतान करना नहीं पड़ता। यह पूरी तरह से निशुल्क होता है, इसलिए किसी भी प्रकार के शुल्क का भुगतान ना करें।