अंबा माता मंदिर जूनागढ़ गुजरात का इतिहास और कैसे पहुंचे -संपूर्ण जानकारी

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क्या आप गुजरात के जूनागढ़ में स्थित अंबा माता मंदिर (Ambaji Mandir Junagadh Gujarat) जाना चाहते हैं, और आपको यह नहीं पता है कि आप वहां किस प्रकार से एवं किस माध्यम से जा सकते हैं। तो आज आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। आज हम आपको बताने वाले हैं कि आप कैसे और किस किस माध्यम से जूनागढ़ में स्थित अंबा माता के मंदिर माता के दर्शन हेतु जा सकते हैं। साथ ही साथ हम आपको इस मंदिर के बारे में भी कुछ जानकारी देने वाले हैं। जैसे कि इस मंदिर के इतिहास और इसके वास्तुकला के बारे में। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको देवी के दर्शन करने और अपने सफर में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। तो चलिए शुरू करते हैं।

अंबा माता मंदिर जूनागढ़ का इतिहास

यह मंदिर गुजरात में जूनागढ़ के पास गुजरात (Gujarat) और राजस्थान की सीमा पर आरासुरी पर्वत पर स्थित एक अंबा माता का प्रसिद्ध मंदिर है।

अगर इसके इतिहास के बारे में बात करें, तो आपको वह पौराणिक कथा तो मालूम ही होगी। जिसमें की सती माता ने अपने आपको यज्ञ की आग में झोंक लिया था। जिसके बाद शिवजी ने उनके आधे जले शरीर को अपने कंधे में उठाकर तांडव किया था। जिससे कि उनके शरीर के अंग जिस भी स्थान पर गिरे वहां भारत में 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। अगर बात करें अंबा माता मंदिर की, तो यह भारत के उन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि इस जगह में सती माता का हृदय गिरा था, इसलिए इस जगह इस मंदिर का निर्माण हुआ है।

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आज से बहुत समय पहले 1584 से 1594 के बीच में  तपिशंकर नामक एक व्यक्ति ने करवाया था। 

अगर इस मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो कहा जाता है कि इस मंदिर के शीर्ष पर 103 फीट की ऊंचाई पर एक राजसी कलश बना हुआ है। जिसका वजन लगभग 3 टन से भी ज्यादा है। इस कलश का निर्माण संगमरमर पत्थर से किया गया है, साथ ही साथ इसमें शुद्ध सोने की परत भी चढ़ाई गई है।

अंबा माता मंदिर जूनागढ़ के दर्शन कैसे करे (Ambaji Mandir Junagadh ke Darshan Kaise Kare)?

अगर आप भी अंबा माता मंदिर देवी के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि यहां देवी की कोई भी प्रतिमा नहीं रखी गई है। यही बात इस मंदिर को सभी मंदिरों से अलग और खास बनाती है। अब आप सोचते होंगे कि अगर यहां देवी की प्रतिमा ही नहीं है तो यहां पूजा किसकी होती है।

 तो हम आपको बता दें कि यहां एक श्री यंत्र रखा हुआ है। जिसकी पूजा की जाती है, और इसे भी आप अपनी आंखों से देख नहीं सकते। यहां भक्तों द्वारा आंखों पर पट्टी डालकर पूजा की जाती है। साथ ही साथ आपको यहां फोटो खींचना भी अलाउ नहीं होता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप वहां किसी भी प्रकार की फोटो ना खींचे।

 अगर मंदिर के खुलने के समय की बात की जाए, तो यह मंदिर सुबह 7:00 बजे से 11:00 बजे तक खुला रहता है। उसके बाद 12:00 से 4:00 बजे तक तथा उसके बाद 6:00 से 9:00 बजे तक खुला रहता है। तो आप इन समय में अगर जाकर मंदिर के दर्शन करना चाहें, तो आपको किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी।

अहमदाबाद से अम्बा मंदिर की दूरी कितनी है (Ahmedabad se Ambaji Mandir ki Duri) ?

अहमदाबाद से अम्बा मंदिर की दूरी 185 किलोमीटर की है।

अंबा माता मंदिर जूनागढ़ कैसे पहुंचे (Ambaji Mandir Junagadh Kaise Phuche) ?

ऊपर तो हमने आपको दर्शन के बारे में जानकारी दे दी है। तो चलिए अब हम आपको यह बता देते हैं कि, अगर आप अपने शहर से आ रहे हैं, तो आप किस प्रकार से अंबा माता के मंदिर पहुंच सकते हैं।

अगर आप अंबा माता का मंदिर जाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले गुजरात के जूनागढ़ में आना होगा। यहां से मन्दिर की दूरी सिर्फ 1 किलोमीटर की है। तो चलिए अब हम आपको यहां आने के लिए साधन के बारे में जानकारी दे देते हैं।

बस से अंबा माता मंदिर जूनागढ़ कैसे पहुंचे (Bus se Ambaji Mandir Junagadh Kaise Phuche) ?

अगर आप बस के माध्यम से जूनागढ़ जाकर देवी मां के मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं। तो हो सकता है आपको प्रमुख शहरों से जूनागढ़ के लिए सीधी बस देखने को मिल जाए। तो आप उससे अपना सफर पूरा कर सकते हैं। वरना आप टैक्सी की मदद से भी मंदिर जा सकते हैं।

ट्रेन से अंबा माता मंदिर जूनागढ़ कैसे पहुंचे (Train Se Ambaji Mandir Junagadh Kaise Phuche) ?

अगर आपको ट्रेन के माध्यम से आना हो, तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन आबूरोड में स्थित है। जो कि इस मंदिर से सिर्फ और सिर्फ 20 किलोमीटर दूर है। तो वहां आकर आप टैक्सी की मदद से अंबा माता मंदिर जा सकते हैं।

फ्लाइट से अंबा माता मंदिर जूनागढ़ कैसे पहुंचे (Airo Plane se Ambaji Mandir Junagadh Kaise Phuche) ?

अगर आप फ्लाइट से आना चाहे, तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जो है वह देहरादून का सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट?  जो कि इस मंदिर से 179 किलोमीटर दूर है। तो इस सफर को पूरा करने के लिए या तो आप टैक्सी बुक कर सकते हैं, या तो आप बस का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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