सालासर बालाजी (Salasar Balaji) मंदिर कैसे जाएं, नियम और इतिहास – संपूर्ण जानकारी

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आपने राजस्थान के सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Bala ji Mandir) के बारे में तो सुना ही होगा। यह मंदिर कितना ज्यादा प्रसिद्ध है, तो आज का हमारा यह आर्टिकल इसी मंदिर से रिलेटेड होने वाला है। आज की इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं कि, आखिर इस मंदिर का इतिहास क्या है? और साथ ही साथ हम आपको बताएंगे कि अगर आप सालासर बालाजी मंदिर में बालाजी के दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं, तो आप वहां कैसे पहुंच सकते हैं। इसके बारे मे हम आपको पूरी जानकारी इसी आर्टिकल में देने वाले हैं, इसलिए इस आर्टिकल में अन्त तक बने रहे।

सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास (Salasar Bala ji Ka Itihas)

सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Bala Ji Mandir) की बात की जाए, तो यहां हिंदुओं के लिए एक बहुत ही लोकप्रिय मंदिर है। यह बालाजी का मंदिर (Salasar Bala Ji Mandir) है। जो कि हमारे भारत के राजस्थान राज्य में चूरू जिले के अंतर्गत स्थित है। हर वर्ष यहां चैत्र पूर्णिमा और अश्विन पूर्णिमा के दिन बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। जिसमें बहुत ज्यादा भीड़ होती है, और इस मंदिर के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश भर से आते हैं। 

यह मंदिर एक ओर कारण से प्रसिद्ध है क्योंकि यह भारत का एकमात्र ऐसा बालाजी का मंदिर है, जिनमें बालाजी के दाढ़ी एवं मूंछ हैं।इनके चेहरे पर बाकी जगह राम नाम के राम आयु बढ़ाने के लिए सिन्दूर चढ़ा हुआ है। यहां बालाजी के दर्शन के लिए बहुत ज्यादा भीड़ होती है। जिसे देखते हुए आज वहां की व्यवस्था को दर्शन हेतु बहुत अच्छा किया गया है। अगर आप बालाजी के दर्शन के लिए जाते हैं तो आपको दर्शन करने में कोई भी परेशानी नहीं होगी।

इस मंदिर के बनने के पीछे एक बहुत बडा और रोचक इतिहास भी है।

 कहा जाता है कि एक मोहनदास नाम का व्यक्ति था। जो कि बालाजी का परम भक्त था। बताया जाता है कि बालाजी इनके भक्ति से बहुत ज्यादा प्रसन्न थे, और एक दिन वह उन्हें मूर्ति के रूप में मिलने का वचन भी दिया था।

कहते हैं कि इस वादे को पूरा करने के लिए बालाजी 1811 में नागौर जिले के असोटा गाव में प्रकट भी हुए थे।

कहा जाता है कि असोटा गांव में एक दिन एक जाट किसान अपने खेत पर काम कर रहा था, वह खेत जोत रहा था। तभी फसल काटते वक्त उसके हल की नोक एक कठोर पत्थर जैसी चीज पर टकराती है। तब जाट उसे खोदकर बाहर निकलता है, तो एक पत्थर बाहर आता है।जब वह जाट उस पत्थर को साफ करता है, तब उसमें बालाजी की झलक दिखाई देती है।

तभी उस जाट किसान की पत्नी खाना लेकर आती है, और वह बालाजी को सबसे पहले बाजरे के चूरमे का भोग लगाती है। यही कारण है कि आज भी बालाजी को बाजरे के चूरमे का भोग लगाया जाता है।

यह भी मान्यता है कि जिस दिन जाट ने उस मूर्ति को निकाला था, उसी दिन गांव के ठाकुर को सपने में बालाजी ने आकर उसे मूर्ति को सालासर ले जाने को कहा था, और बालाजी ने सपने में मोहनदास को कहा था कि, जिस बैलगाड़ी से मेरी मूर्ति सालासर आएगी, उसे कोई ना चलाएं। वह बैलगाड़ी जहां रुकेगी वहां मेरे मन्दिर की स्थापना की जाए।

बैलगाड़ी वहां आकर रुकी जहां वर्तमान में वह मंदिर स्थित है। इसीलिए उस जगह पर बालाजी का मंदिर को स्थापित किया गया, और कहा जाता है कि मोहनदास को बालाजी ने सबसे पहले दर्शन दाढ़ी और मूंछ के साथ दिए थे, इसलिए इस मंदिर में बालाजी के दाढ़ी और मूंछ है।

सालासर बालाजी का मंदिर कहाँ स्थित है ? भारत के राजस्थान राज्य में चूरू जिले के अंतर्गत स्थित है ।
सालासर बालाजी का सबसे पास का रेलवे स्टेशन कौन सा है ? सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन ही सालासर बालाजी का सबसे पास का रेलवे स्टेशन है।
सालासर बालाजी का सबसे पास का Air Port कौन सा है ? जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट

सालासर बालाजी मंदिर कैसे जाएं ? (Salasar Bala Ji Mandir Kaise Jaye)

तो चलिए जानते हैं कि आप कैसे सालासर बालाजी मंदिर के दर्शन करने जा सकते हैं? आपको नीचे सालासर बालाजी मंदिर पहुंचने के बारे में बताया गया है। जिससे कि आपको वहां पहुंचने में परेशानी नहीं होगी-

सालासर बालाजी मंदिर बस से कैसे जाएं?

अगर आप सड़क मार्ग से बस से सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Bala Ji Mandir) जाना चाहते हैं, तो आप आसानी से जा सकते हैं। क्योंकि सालासर बालाजी राजस्थान के पड़ोसी राज्यों एवं उसके आसपास के राष्ट्रीय राजमार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जिससे कि आप आसानी से सड़क मार्ग की यात्रा करके सालासर बालाजी जा सकते हैं। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम के अंतर्गत कई बसें चलती है, जिसकी मदद से आप सालासर बालाजी जा सकते हैं। आपको जयपुर और जोधपुर से प्रतिदिन सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Bala Ji Mandir) जाने के लिए बसे देखने को मिल जाएगी, और साथ ही साथ आप इन मार्ग से टैक्सी एवं कैब बुक करके भी बालाजी के दर्शन करने जा सकते हैं।

सालासर बालाजी मंदिर ट्रेन से कैसे जाएं?

अगर आप सालासर बालाजी ट्रेन से जाना चाहते हैं, तो आपको सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Bala Ji Mandir) के सबसे पास के रेलवे स्टेशन जो कि सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन है, वहां जाना होगा। जहां से आपको सालासर बालाजी मंदिर पहुंचने में सिर्फ 32 मिनट का समय लगता है। आपको सुजानगढ़ के लिए कई बड़े महत्वपूर्ण शहरों से ट्रेनें देखने को मिल जाती है, जैसे कि जयपुर से नई दिल्ली से एवं बीकानेर से। अगर आप ट्रेन से सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन जाना चाहते हैं, तो आप नीचे बताए गई इन ट्रेनों की मदद से सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन जा सकते हैं।

*22421 सालासर सुपरफास्ट एक्सप्रेस

*19027 विवेक एक्सप्रेस

*22482 जोधपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस/डीईई जू सुपर

इन सभी ट्रेनों की मदद से आप सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन जा सकते हैं, और उसके बाद ऑटो या कैब बुक करके बालाजी मंदिर जा सकते हैं। सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन और सालासर बालाजी मंदिर के बीच लगभग 26 किलोमीटर का डिस्टेंस है, जहां जाने में आपको लगभग आधे घंटे का ही समय लगता है।

सालासर बालाजी का सबसे पास का रेलवे स्टेशन कौन सा है ?

सालासर बालाजी का सबसे पास का रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन है।

सालासर बालाजी मंदिर हवाई यात्रा से कैसे जाएं?

अगर आप सालासर बालाजी मंदिर हवाई जहाज से जाना चाहते हैं, तो आपको सालासर बालाजी (Salasar Bala Ji Mandir) जाने के लिए डायरेक्ट प्लेन की सुविधा नहीं मिलती है। इसके लिए सालासर बालाजी का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है।जहां से सालासर बालाजी की दूरी लगभग 183 किलोमीटर है। इसलिए आपको अगर हवाई मार्ग से आना है, तो जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड करना होगा। जिसके बाद आपको सालासर बालाजी मंदिर जाने के लिए टेक्सी देखने को मिल जाएगी। जिसमें आप को सालासर बालाजी पहुंचने में लगभग तीन घंटे का समय लगता है।

सालासर बालाजी के नियम

नीचे हमने आपको सालासर बालाजी मंदिर में दर्शन करने जाने के बारे में कुछ जानकारी दी है। इसे आप एक तरफ से नियम की तरह ही समझ सकते हैं, जिससे कि आपको वहां दर्शन करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। तो चलिए जानते हैं।

  1. तो अगर आप भी सालासर बालाजी मंदिर गए हुए हैं, और आपको बहुत ही ताजा प्रसाद चाहिए। तो आपको इस मंदिर के मुख्य द्वार के आसपास कई सारी प्रसाद एवं नारियल की दुकानें देखने को मिल जाएगी। जहां जाकर आप आसानी से प्रसाद और नारियल खरीद सकते हैं।
  2. अगर आप सालासर बालाजी मंदिर जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो हम आपको यह पहले ही बता दें की अगर आप सालासर बालाजी मंदिर गए हुए हैं, तो वहां नारियल और लाल रंग का ध्वजा चढ़ाना ना भूलें। क्योंकि माना जाता है बालाजी को लाल रंग बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है। इसलिए यहां जो भी भक्त आता है लाल ध्वज बालाजी को जरूर अर्पित करता है। इसलिए अगर आप भी जाएं तो एक लाल रंग का ध्वजा बालाजी को अर्पित करना ना भूलें।
  3. अगर आप सालासर बालाजी मंदिर गए हुए हैं, और अगर आपको वहां किसी प्रकार की समस्या होती है, या आपको किसी से कांटेक्ट करना होता है। तो हम आपको बता दें कि इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर अंदर घुसते ही आपको श्री हनुमान सेवा समिति का कार्यालय देखने को मिल जाएगा, जहां जाकर आप अपनी सभी परेशानियों का समाधान कर सकते हैं, और आप चाहे तो इस कार्यालय में जाकर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके जिसे कांटेक्ट करना है उससे contact भी कर सकते हैं। साथ ही साथ आपकी सारी समस्याओं का समाधान भी इस स्थान पर किया जाता है।
  4. अगर आपको प्रसाद वितरण के बारे में जानना है, तो हम आपको बता दें कि यहां भक्तों एवं श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में सुबह 5:00 बजे से रात्रि के 10:00 बजे तक प्रसाद के रूप में चरणामृत वितरित किया जाता है। जिसे आपको जरूर ग्रहण करना चाहिए।
  5. एक और नियम हम आपको यहां बताना चाहेंगे कि अगर आप यहां सालासर बालाजी में सवामणि का भोग लगाना चाहते हैं। तो हमने जो आपको ऊपर प्रसाद के दुकानो के बारे में बताया है, आप वहां जाकर सवामणि प्रसाद खरीद सकते हैं। यहां आपको चूरमे के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, एवं बेसन की बर्फी आदि कई प्रकार के सवामणि देखने को मिल जाएंगे। जिनका रेट आपको अलग-अलग देखने को मिल सकता है। एक सवामणी में लगभग 50 से 60 किलो तक आपको लड्डू या चूरमा के लड्डू दिए जाते हैं।
  6. अब आप सोचते होंगे कि आखिर सवामणी का भोग बालाजी को लगाने के बाद उसका क्या किया जाता है। तो हम आपको बता दें कि उस सवामणी से आठ से 10 किलो लड्डू बाला जी को भोग के रूप में लगा दिया जाता है, तथा बाकी बचे सवामणी को आपको वापस लौटा दिया जाता है जिसे आप चाहे तो घर जाकर लोगों में बांट सकते हैं।
  7. एक आवश्यक और सबसे जरूरी नियम हम आपको बता दें, कि अगर आप सालासर बालाजी, बालाजी के दर्शन के लिए गए हुए हैं। तो आपको धुनि के दर्शन जरूर करना चाहिए। आपको धुनि का धोक जरूर खाना चाहिए। क्योंकि मान्यता है कि धुनि का धोख के बिना आपका सफर का कोई मतलब नहीं होता है। इसलिए आप जब भी सालासर बालाजी मंदिर जाए तो धुनि का धोखा खाना ना भूलें, और अगर आप चाहे तो इस धोनी के भभूत को घर भी ला सकते हैं। जिससे कि आपको बहुत ही ज्यादा फायदा होता है, कहा जाता है कि इस भभूत से लाखों प्रकार की बीमारियां समाप्त हो जाती है।

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