हिंगलाज माता मंदिर कैसे पहुंचे Train, Bus, Airoplane से, इतिहास – संपूर्ण जानकारी

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हिंगलाज माता मंदिर कहाँ पर स्थिति है (Hinglaj Mata Mandir Kha per hai)?

हिंगलाज माता मंदिर (Hinglaj Mata Mandir) भारत के सबसे करीबी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज  इलाके से होकर हिंगोल नदी के पास माता का मंदिर है । यह देवी सती के शरीर के अंगों क़ो 108 भागो क़ो करने के बाद 51 शक्ति पीठ में से  यह सबसे पहला शक्तिपीठ माना जाता है। हिंगलाज मंदिर पूरे विश्व भर में बहुत ही प्रसिद्ध है और पाकिस्तान में रहने वाले मुस्लिम,हिन्दू समुदाय के लिए इस मंदिर मे आकर सिर झुककर माथा टेकते है।

हिंगलाज माता मंदिर कहाँ है (Hinglaj Mata Mandir Kha per hai)? पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज इलाके से होकर हिंगोल नदी के पास माता का मंदिर है
ट्रेन (Train) से कैसे जाए ?
नजदीकी रेलवे स्टेशन (Nearest Railway Station) कराची रेलवे स्टेशन
कराची रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी दूरी 250 किलोमीटर है
नजदीकी हवाई अड्डा नजदीकी हवाई अड्डा कराची एयरपोर्ट है

हिंगलाज माता के मंदिर कैसे जाये (Hinglaj Mata ke Mandir Kaise Jaye)-

हिंगलाज माता का मंदिर कराची शहर से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर है, हिंगलाज मंदिर पहुचने का मात्र एक ही तरीका है यदि आप सड़क मार्ग से यात्रा करना चाहते है, तो आप कराची शहर तक ट्रेन या फ्लाइट से यात्रा करके जा सकते है और फिर कराची पहुचने के बाद आप  यहाँ से टेक्सी या एक कार किराये पर बुक करके हिंगलाज माता मंदिर दर्शन करने के लिए जा सकते है।

ट्रेन से कैसे जाए (Train se Hinglaj Mata ke Mandir Kaise Jaye) ?

अगर आप हिंगलाज माता मंदिर जाना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले कराची पहुंचना पड़ेगा। आप अपने नजदीकी शहर से रेलवे स्टेशन के जरिए कराची रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। लेकिन यहां से मंदिर की दूरी 250 किलोमीटर है। जिस पर पहुंचने के लिए आपको टैक्सी, बस या मिनी कैब का सहारा लेना होगा। जो आपको 5 घंटों में हिंगलाज माता मंदिर पर पहुंचा देगी।

हिंगलाज माता मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन (Nearest Railway Station) ?

कराची रेलवे स्टेशन हिंगलाज माता मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन है।

कराची रेलवे स्टेशन से हिंगलाज माता मंदिर की दूरी ?

कराची रेलवे स्टेशन से हिंगलाज माता मंदिर की दूरी 250 किलोमीटर है।

बस से कैसे जाएं (Bus se Hinglaj Mata ke Mandir Kaise Jaye) ?

आप अपने नजदीकी बस स्टॉप से कराची के लिए बस पकड़ सकते है। आपको रोडवेज और प्राइवेट दोनों बस की सुविधा उपलब्ध होंगी। कराची बस स्टैंड से मंदिर की दूरी 225 किलोमीटर है। बस स्टैंड पर उतरकर आप मिनी बस, टैक्सी, ऑटो या इलेक्ट्रिक रिक्शा कर सकते है। जिसके बाद आप आसानी से हिंगलाज मंदिर पहुंच सकते है।

हवाई जहाज से कैसे जाएं (Airoplane se Hinglaj Mata ke Mandir Kaise Jaye )?

अगर आप ज्यादा दूर रहते है, तो मंदिर आने के लिए हवाई जहाज का सहारा ले सकते है। हिंगलाज मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा कराची एयरपोर्ट है। कराची एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी 170 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से ही आपको बस, मिनी बस, इलेक्ट्रिक रिक्शा, ऑटोतथा टैक्सी मिल जायेंगे। जिनकी मदद से आप आसानी से मंदिर जा सकते है।

कराची शहर में हिंगलाज माता के मंदिर जाने के लिए आपको टैक्सी, ऑटो, बस, मिनी बस तथा सिटी बस भी आसानी से मिल जाएगी।जोकि बहुत कम किराये पर आपको हिंगलाज मंदिर तक पंहुचा देगी।

हिंगलाज मंदिर खुलने का समय (Hinglaj Mata Mandir Timing) –

  • हिंगलाज मंदिर सुबह 4बजे से लेकर 12 बजे दोपहर तक मंदिर के पट खुले रहते है।
  • हिंगलाज मंदिर शाम के 5बजे से लेकर रात्रि के 8बजे तक मंदिर पट खुले रहते है और 8बजे  माता हिगलाज की आरती होती है उसके बाद रात्रि 10बजे के बाद मंदिर के पट बंद कर दिया जाता है।

हिंगलाज माता की पूजा किस तरह करे –

हिंगलाज माता जी की पूजा पुरे विधि -विधान के साथ कर सकते है,फिर चाहे वह पंचोपचार पूजा हो,षोडशोपचार पूजा विधि, लेकिन यहाँ पर सबसे उत्तम षोडशोपचार पूजा मानी जाती है इस पूजा क़ो करने के लिए 16 चीजों की अवश्यकता होती है तभी पूजा पुरे  विधि -विधान के साथ होती है-

  1. सबसे पहलेमाता हिगंलाज को पंचामृत से स्नान कराने के बाद चंदन से भी स्नान करवाते है।  
  2. माता हिंगलाज की पूजा में गेहूं या चावल की ढेरी को तांबे के कलश के ऊपर रखे,फिर उसपर नागरबेल के पत्ते, तथा नारियल रखकर कलश की स्थापना करते है। कलश मे मौली  बाँधते है।  
  3. हिंगलाज माता की पूजा करने से पहले गणपति जी का ध्यान करना बहुत ही जरूरी होता है।
  4. अब माता हिंगलाज को लाल गुलाब के फूल , गुलाब का इत्र, सिन्दूर और लाल चुनरी चढ़ाते है, ये सभी चीजे माता क़ो अतिप्रिय लगती है।
  5. माता हिंगलाज की आरती करने के बाद भोग मे खीर, मिठाई लगाकर सभी व्यक्तियों जो मंदिर मौजूद हो उनको प्रसाद बाँटे, खुद भी माता का प्रसाद ग्रहण करे,इस तरह से माता की पूजा सम्पन्न होती है।

हिंगलाज माता के मंदिर मे कई बार हुये हमला –

हिंगलाज माता के मंदिर पर कई बार पाकिस्तान के आंतकवादियों ने हमला किया है,लेकिन हिगलाज माता को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाये है। स्थानीय हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगो ने मिलकर पाकिस्तान के आंतकवादियों के हमले से मंदिर को कई बार बचाया  है। जब आतंकवादी मंदिर को नुकसान पहुंचाने के लिए आए तब तो सभी आंतकवादी हवा में लटक गए थे। तब से इस मंदिर क़ो लोग चमत्कारी मानने लगे और हिंगलाज माता के सामने सिर झुकाकर आशीर्वाद लेते है।

हिंगलाज माता मंदिर के आस -पास घूमने लायक जगहे –

यदि आप हिंगलाज माता के मंदिर दर्शन करने के बाद वापस लौटते समय वहाँ के आस -पास की खूबसूरत जगहों पर घूमना चाहते है तो आप हिंगलाज मंदिर के पास कई धार्मिक स्थल है और पर्यटक स्थल मौजूद है जहाँ पर आप घूम सकते है –

  • गुरुनानक खारो
  • गणेश देव
  • रामजरोखा बेशक
  • अनिल कुंड पर चौरासी पर्वत
  • बृहम कुरु
  • माता काली धाम
  • गुरुगोरख खारो
  • चंद्र, ग्रुप खिरिवर तथा अघोर पूजा
  • गुरुगोरख  डौनी 

हिंगलाज मंदिर दर्शन करने जाने का सही समय –

हिंगलाज माता मंदिर दर्शन करने जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर  माह से मार्च माह का समय होता है।  इस दौरान हिंगलाज मंदिर का मौसम सूखा हुआ होता है जिससे हिंगलाज माता मंदिर की यात्रा आसानी से कर सकते है।

गर्मियों और मानसून के मौसम हिंगलाज माता मंदिर की यात्रा के लिए नहीं जाना  चाहिये क्योंकि गर्मियों के मौसम मे हिंगलाज का तापमान अधिक होता है और मानसून में बारिश होने से आपकी यात्रा मे अनेको बाधाए आ सकती है।

हिंगलाज माता मंदिर का इतिहास (Hinglaj Mata Mandir History in Hindi)-

हिंगलाज माता मंदिर से जुड़ी मुख्य कथा उनके विभिन्न शक्ति पीठों के निर्माण से संबंधित है। सती, जो प्रजापति दक्ष की पुत्री थी, उनका विवाह शिव जी से हुआ था, क्योकि सती का विवाह शिव से हो दक्ष की इच्छा नहीं थी। दक्ष ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया लेकिन सती और शिव को नहीं बुलाया था बिन बुलाए ही सती यज्ञ-स्थल पर पहुँच गयी,जहाँ दक्ष ने सती और शिव को अपमानित किया। इस अपमान को सती बर्दास्त नहीं कर पायी और सती ने अपने चक्रों को सक्रिय करते हुए खुद को अग्नि को समर्पित कर दी।

सती अग्नि मे खुद क़ो समर्पित कर दी उनकी मौत हो गयी,लेकिन उनकी लाश आग मे नहीं जली। शिव जी ने सती की मृत्यु का जिम्मेदार दक्ष को माना और शिव ने दक्ष क़ो मार दिया और उन्हें पुनर्जीवित जीवनदान देते हुये हुए क्षमा कर दिया। शिव सती की लाश के साथ पुरे ब्रह्मांड में घूमते रहे, अंत में, भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 108 भागों में बांट दिया, जिसमें से 52 भाग पृथ्वी पर और शेष ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों पर गिरे। पृथ्वी पर गिरे भाग अलग-अलग शक्ति पीठ बन गये और प्रत्येक शक्तिपीठ में शिव जी की पूजा भैरव के रूप करते है , जो पीठासीन देवी के पुरुष संरक्षक होते है। और मान्यताओ के अनुसार कहा जाता है कि सती का सिर हिंगलाज में गिरा था।

इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य है कि यहाँ पर  रात के समय इस जगह पर सारी शक्तियां एक साथ इकट्ठा होकर रास रचाती है तथा दिन के समय हिंगलाज माता के मंदिर मे जाकर सारी शक्तिया विलीन हो जाती है।

निष्कर्ष (conclusion )-

इस आर्टिकल मे हमने हिंगलाज माता मंदिर का इतिहास,हिंगलाज मंदिर कहाँ पर स्थित है,मंदिर खुलने का समय क्या है तथा हिंगलाज मंदिर कैसे जाये तथा हिंगलाज माता की पूजा कैसे करे आदि से जुडी जानकारी दी गयी है आप इस आर्टिकल क़ो पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते है। और अपने दोस्तों, रिश्तेदारो क़ो भी हिंगलाज माता मंदिर से जुडी जानकारी शेयर कर सकते है।

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