क्या आप कोलकाता के प्रसिद्ध मंदिर यानी कि दक्षिणेश्वरी काली माता (Dakshineswar Kali Temple) के मंदिर जाना चाहते हैं, और काली माता के दर्शन करना चाहते हैं। तो आज इस आर्टिकल में आप यह जानेंगे कि आप कैसे दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर बहुत सकते हैं, और कैसे मंदिर पहुंचकर देवी के दर्शन कर सकते हैं साथ ही साथ हम इस आर्टिकल में आपको यह भी बताने वाले हैं कि, इस मंदिर का इतिहास क्या रहा है। जिससे कि आप इस मंदिर के बारे में और भी ज्यादा जान पाएंगे। तो चलिए बिना किसी देरी के आज के हमारे इस आर्टिकल को शुरू करते हैं।
दक्षिणेश्वरी काली (Dakshineswar Kali) माता मंदिर का इतिहास
अगर इस मंदिर के स्थान की बात की जाए, तो यह मंदिर उत्तर कोलकाता के बैरकपुर में विवेकानंद सेतु के कोलकाता छोर के निकट में स्थित है। यह मंदिर हुगली नदी के किनारे में स्थित है, और यह हिंदू धर्म के लिए एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। यहां देवी के रूप में मुख्य रुप से भावतारिणी देवी मौजूद हैं। जोकि हिंदू धर्म में काली माता का ही रुप है। इसलिए इस मन्दीर को दक्षिणेश्वरी काली (Dakshineswar Kali) मंदिर के नाम से जाना जाता है। अगर इसके इतिहास की बात करें तो इस मंदिर की स्थापना लगभग 1855 में हुई थी।
वैसे तो इस मंदिर के बनने का कार्य सन 1847 में ही शुरू हो गया था। इस मंदिर का निर्माण रानी राममणि के द्वारा करवाया गया था। जो कि उस समय जान बाजार की जमींदार थी। मान्यता है कि काली माता ने स्वयं उनके सपने में आकर उन्हें उस स्थान पर जिस स्थान में अब यह मंदिर है, उस जगह उनका मंदिर बनाने को कहा था।
उनके निर्देश से रानी राममणि ने वैसा ही किया तथा इस जगह मंदिर का निर्माण किया, और इस मंदिर में देवी की मूर्ति को श्रद्धा पूर्वक स्थापित किया। इस मंदिर के बनने का कार्य 1855 में समाप्त हुआ। इस मंदिर को बनने में लगभग 8 साल का समय लग गया। अगर इस मंदिर की क्षेत्र की बात की जाए, तो यह मंदिर लगभग 25 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर के दर्शन कैसे करें (Dakshineswar Kali Mata Mandir ke Dharshan Kaise Kare)?
अगर आप यहां मंदिर के खुलने के समय को ध्यान में रखकर आएंगे, तो आप बहुत ही ज्यादा आसानी से और कम समय में ही देवी के दर्शन कर पाएंगे। तो इसलिए आपको यहां आने से पहले मंदिर के समय के बारे में जान लेना चाहिए।
तो इसके लिए हम आपको बता दें कि दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर भक्तों के लिए सुबह 6:30 बजे खुल जाता है, और इस मंदिर का कपाट दोपहर 12:30 तक खुला रहता है, उसके बाद इसे बंद किया जाता है। उसके बाद यह पुनः 3:00 बजे खोला जाता है, और इसे रात के 8:30 बजे वापस बंद किया जाता है।
अगर आप इस समय को ध्यान में रखकर यहां आते हैं, तो आप बहुत ही कम समय में और आसानी से देवी के दर्शन कर सकते हैं, और हम आपको यह भी बता दें कि, इस जगह में देवी के दर्शन करने के लिए आपको किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लगता है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति आपसे शुल्क की मांग करें, तो उसे किसी भी प्रकार के शुल्क का भुगतान ना करे।
तो चलिए यह तो हमने आपको दर्शन के बारे में बताया है। अब हम आपको यह भी बता देते हैं कि अगर आप किसी दूसरे स्थान से आ रहे हैं, तो आप कैसे देवी के मंदिर तक पहुंच सकते है।
दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर कैसे पहुंचे ( Dakshineswar Kali Mata Mandir Kaise Phuche)
बस से दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर कैसे पहुंचे ?
अगर आप सड़क यात्रा करते हुए बस से आना चाहे तो, हम आपको बता दें कि दक्षिणेश्वरी काली मंदिर (Dakshineswar Kali Mata Mandir) कोलकाता से सिर्फ 13 किलोमीटर दूर स्थित है, और अगर कोलकाता के लिए बस की बात करें, तो आपको लगभग सभी शहरों से कोलकाता के लिए नियमित बसें देखने को मिल जाएगी। क्योंकि कोलकाता सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग उसे अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
ट्रेन से दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर कैसे पहुंचे ?
अगर आप ट्रेन की माध्यम से आना चाहे, तो हम आपको बता दें कि, कोलकाता में ही दो मुख्य रेलवे स्टेशन मौजूद हैं। पहला हावड़ा रेलवे स्टेशन, और दूसरा Sealdah रेलवे स्टेशन, और दोनों की दूरी इस मंदिर से लगभग 12 से 13 किलोमीटर की ही है। तो आप दोनों में से किसी भी रेलवे स्टेशन का चुनाव अपने लिए कर सकते हैं। रेलवे स्टेशन आने के बाद आप टैक्सी या कैब बुक करके देवी के मंदिर पहुंच सकते हैं।
दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन (Nearest Railway Station) कौन सा है ?
Sealdah रेलवे स्टेशन दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन है
दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर का निकटतम मेट्रो स्टेशन (Nearest Metro Station) कौन सा है ?
दक्षिणेश्वरी मेट्रो स्टेशन ही दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर का निकटतम मेट्रो स्टेशन है
फ्लाइट से दक्षिणेश्वरी काली माता मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आप फ्लाइट के माध्यम से जाए तो हम आपको बता दें कि, कोलकाता मे ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट मौजुद है। तो अगर आप यहां लैंड करें तो आपको मंदिर जाने के लिए 20 किलोमीटर का सफर तय करना होगा। जिसके लिए आप टैक्सी या फिर बस का इस्तेमाल कर सकते है।
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