तो दोस्तों कैसे हैं आप लोग, स्वागत है आपका आज के हमारे एक और नए आर्टिकल में जहां हम एक और नए टॉपिक पर आपके लिए एक जानकारी लेकर आए हैं। तो दोस्तों आज का हमारा यह टॉपिक थोड़ा अजीबो गरीब होने वाला है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं, वह आपको आगे इस आर्टिकल में अपने आप ही पता लग जाएगा। तो दोस्तों इस आर्टिकल को शुरू करने से पहले आप यह बताइए कि क्या आपको मेलो में जाना पसंद है। अब आप सोच रहे होंगे कि मेलों में जाना भला किसे पसंद नहीं होता। लेकिन हम आपको बता दें कि इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद शायद आपको मेले के नाम से थोड़ा डर लगने लगे। क्योंकि आज हम आपको उन मेलों के बारे में नहीं बताने वाले जो आपके आसपास लगते हैं। बल्कि आज हम आपको हमारे देश के सबसे अजीब मेले के बारे में बताने वाले हैं। तो अगर आप भी उस मेले के बारे में जानना चाहते हैं, कि आखिर वह मिला इतना अजीब क्यों है, और उसमें डरने वाली क्या बात है। तो हमारे आज के इस आर्टिकल को आखिर तक पूरा जरूर पढ़ें। तो चलिए बातों में आपका ज्यादा समय न लेते हुए सीधा अपनी आर्टिकल की ओर आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं।
मलाजपुर भूतों का मेला (Malajpur Bhooto ka mela)
तो दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया, कि मेले में जाना तो लगभग सभी को पसंद होता है। लेकिन आज हम आपको एक डरावने मेले के बारे में बताने वाले हैं। यानी कि आज के इस आर्टिकल में हम आपको भूतों के मेले के बारे में बताने वाले हैं। जी हां दोस्तों भले ही यह सुनने में आपको अजीब लग रहा होगा, लेकिन हमारे भारत में एक ऐसी जगह भी है, जहां भूतों का मेला भी लगाया जाता है, और उस जगह का नाम है मलाजपुर। तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको मलाजपुर के ही भूतों के मेले के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। आज के इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि भूत का मेला क्या होता है, और इसका इतिहास क्या रहा है। इसी के साथ साथ हम आपको यह भी बताएंगे, कि अगर आप यहां जाना चाहे और मेले में शामिल होना चाहे तो आप किस प्रकार से यहां पहुंच सकते हैं। तो चलिए एक-एक करके इन सभी चीजों के बारे में आपको बताते हैं।
मलाजपुर भूतों के मेले का इतिहास ( Malajpur Bhooto le Mele ka Itihaas)
भूतों का मेला कब और कहाँ लगता है (Bhuto ka mela kha lagta hai)?
भूतों का मेला, यह मेला लगता है हमारे भारत के मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले के चिचोली तहसील के मलाजपुर नामक गांव के अंदर। इसलिए इसे मलाजपूर भूतो के मेले के नाम से जाना जाता है। अगर बात करें इस मेले की तो इसकी शुरुआत मकर संक्रांति के पहली पूर्णिमा के दिन से होती है, और यह मेला नर्मदा के किनारे में आयोजन किया जाता है, और यह मेला लगभग एक महीने तक चलता है। तो यह तो हुई इस मेले की बात की यह मेला कहां आयोजित होता है उसकी बात। तो चलिए अब हम आपको यह बता देते हैं कि इस मेले के आयोजन होने के पीछे क्या कारण है यानी कि इस मेले का इतिहास कहां से और क्यों है।
मलाजपुर मेले का इतिहास ( Malajpur Bhooto ka mela History in Hindi )
ऐसी मान्यता है कि मलाजपुर नामक गांव में सन 1770 के समय में एक बाबा जिनका नाम श्री श्री देव जी संत गुरु साहब था, वह रहा करते थे, और बचपन से ही उनका रहने खाने-पीने का स्वभाव दूसरों से बहुत ही ज्यादा अजीब था। शुरू से ही वह भक्ति में लीन रहा करते थे, पर उन्होंने बड़े होते होते अपने आप को पूरी तरह से इन्हीं सभी चीजों में ढाल दिया था इतना ही नहीं गांव वाले तो उन्हें भगवान के स्वरूप मानते थे, क्योंकि वह भूत प्रेतों को अपने वश में करने जैसे चमत्कारी शक्तियों को जानते थे, और उन्होंने जीवित रहते रहते अपने गांव के कई लोगों की प्रेत बाधा को दूर भी किया है। कहा जाता है कि एक दिन गुरु बाबा ने पीपल के पेड़ के नीचे जिंदा ही समाधि ले ली, यह जानकर गांव वालों ने उस स्थान पर एक मंदिर बना दिया, और उसी मंदिर पर आज यह मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले की खास बात यह है, कि देव जी बाबा के गुजर जाने के बाद भी, आज यहां प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए लोग यहां आते हैं, और उन्हें उनके प्रेत बाधा से मुक्ति भी मिलती है। इस मेले की खास बात यह है कि जो लोग भी प्रेत बाधा से पीड़ित है, वैसे लोग देश भर से यहां अपने प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए यहां आते हैं, और यहां की एक और विशेषता यह भी है कि यहां आने पर हर व्यक्ति बाबा के समाधि पर चक्कर लगाता है। लेकिन जो व्यक्ति भूत या फिर प्रेत बाधा से पीड़ित होता है वह उस समाधि के उलटे चक्कर लगाने लगता है और जिनको प्रेत बाधा की समस्या नहीं होती है वह समाधि में सीधे चक्कर ही लगाते हैं, और जिनको प्रेत बाधा की समस्या होती है यानी कि जो उस समाधि या फिर वृक्ष के उलटे चक्कर लगाते हैं उनके द्वारा दो चक्कर लगाने के बाद उनके शरीर से वह प्रेतात्मा स्वत: ही बाहर निकल कर उस पीपल के पेड़ पर उल्टे लटक जाती है, और कहा जाता है कि थोड़े दिनों में ही उस आत्मा को शांति मिल जाती है, और उस व्यक्ति को हमेशा के लिए उस प्रेत बाधा से भी मुक्ति मिल जाती है। दोस्तों सुनने में यह जितना डरावना है, वह देखने में उतना ही ज्यादा डरावना होता है। कई लोगों के तो यहां आने का नाम सुनने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लेकिन आज भी यह मेला बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है, और देश भर से लोग इस मेले को देखने के लिए तथा पीड़ित लोग प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए यहां पहुंचते हैं, और मलाजपुर गांव वाले भी देव जी बाबा को याद करते हुए इस मेले का आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।
बाबा के समाधि के चक्कर
अब हम जो आपको बात बताने जा रहे हैं यह सुनकर आपको बहुत ही ज्यादा हैरानी होगी, वह बात यह है कि जैसा कि हमने आपको बताया कि जो भी व्यक्ति भूत या प्रेत बाधा से पीड़ित होता है, वह बाबा के समाधि के चक्कर काटता है। उस दौरान मान्यता यह है कि उस व्यक्ति के अंदर समाहित वह भूत और प्रेत बाबा से भीख मांगता है और यह वादा करता है कि आज के बाद मैं कभी भी इस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश नहीं करूंगा या नहीं करूंगी। इसी तरह उस व्यक्ति को प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है। इसलिए इन गांव वालों की मान्यता है कि देव जी बाबा के समाधि लेने के बाद भी उनकी शक्तियां आज इस स्थान पर मौजूद है, और वह सब हमारी रक्षा कर रही हैं।
पीड़ित व्यक्ति नाचते हुए आता है
इस स्थान पर जब भी कोई पीड़ित व्यक्ति आता है तो या तो वह नाचते हुए आता है या तो कुछ अजीब हरकतें करते रहता है। किसी किसी के हाथ में तो हथकड़ी या फिर जंजीर भी लगी रहती है। कई लोग तो ऐसे होते हैं जो वृक्ष की परिक्रमा करते करते अपने हाथ में या फिर अपने मुंह में कपूर को जलाकर रख लेते हैं। तो ऐसे कई प्रकार के कार्य करके इस स्थान पर यानी कि इस मेले में लोगों को उनके प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाई जाती है। तो अगर आपको भी ऐसा लगता है कि आपके ऊपर किसी भूत प्रेत का साया है, या फिर आपके परिवार में कोई प्रेत बाधा से परेशान हैं। तो आप इस स्थान पर आकर उस परेशानी से मुक्ति पाने की कोशिश कर सकते हैं, हो सकता है कि आपकी भी समस्या यहां आकर ठीक हो जाए, वैसे भी हजारों लोगों की समस्याएं यहां आकर ठीक हो चुकी है।
प्रेत बाधा मुक्ति के बाद किया जाता है गुड़ का दान
तो दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया कि वृक्ष की या फिर समाधि की परिक्रमा करने के बाद आपके शरीर में समाहित व आत्मा अपने आप ही बाहर जाकर पीपल के पेड़ पर उल्टी लटक जाती है, इस प्रकार से आपको भूत प्रेत की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। तो जब आप वहां जाकर यह प्रक्रिया कर लेते हैं, और एक बार आपको प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है। उसके बाद आपको इस मंदिर पर गुड़ का दान करना होता है। इसके लिए आपको तराजू में बैठाकर आपकी ही जितना वजन जितना गुड को तौला जाता है, और आपको उतना ही गुड इस मंदिर में दान करना पड़ता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और इसी कारण से आज के समय में इस मंदिर में बहुत ही अधिक मात्रा में गुड़ इकट्ठा हो चुका है, और इस गुण का इस्तेमाल यहां आए हुए लोगों को प्रसाद के रूप में वितरण करने हेतु भी किया जाता है। लेकिन इतना ही नहीं, इसमें भी लोगों को एक चमत्कार देखने को मिलता है। यहां इस मंदिर में सालों से इतनी मात्रा में गुड़ इकट्ठा होने के बावजूद भी आपको इस मंदिर में एक भी चींटी, मक्खियां फिर कीड़े मकोड़े दिखाई नहीं देंगे, और यह वहां के लोगों की मान्यता है, कि यह बाबा देव जी संत गुरु साहब जी की ही कृपा है जिनकी चमत्कारी शक्ति आज भी उस मंदिर में मौजूद हैं।
मलाजपुर भूतों का मेला कैसे पहुंचे (Malajpur betul bhoot ka mela Kaise Phuche)
तो दोस्तों अगर आपको भी भूत प्रेत से संबंधित कोई समस्या है यानी कि आपको भी लगता है कि आपके या फिर आपके परिवार के किसी सदस्य के ऊपर भूत प्रेत का साया है, या फिर किसी की बुरी नजर है। तो आप भी यहां जाकर अपनी किस्मत आजमा कर देख सकते हैं। हो सकता है कि आपकी सोच सही हो और आपको भी आपके उस परेशानी से मुक्ति मिल जाए, तो जैसा कि हमने आपको यह पहले ही बता दिया है कि मलाजपुर हमारे भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत बैतूल जिले में स्थित है, तो चलिए अब हम आपको यह बता देते हैं कि अगर आप भी वहां जाकर इस मेले में शामिल होना चाहे या फिर वहां जाकर अपनी परेशानी का हल ढूंढना चाहे तो आप वहां किस प्रकार से पहुंच सकते हैं।
बस से मलाजपुर भूतों का मेला कैसे पहुंचे ( Bus se Malajpur betul bhoot ka mela Kaise Phuche )
अगर आप बस से मलाजपुर जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि मध्य प्रदेश राज्य में आपको बसों की अच्छी सुविधा देखने को मिल जाती है, और अगर बैतूल से मलाजपुर की दूरी की बात करें, तो बेतूल से मलाजपुर की दूरी मात्र 42 किलोमीटर है। तो हो सकता है कि आपको बैतूल तक या फिर मलाजपुर तक ही सीधी बसें देखने को मिल जाए।
ट्रेन से मलाजपुर भूतों का मेला कैसे पहुंचे ( Train se Malajpur betul bhoot ka mela Kaise Phuche )
तो दोस्तों अगर आप अपना सफर आराम से और कम समय में करना चाहते हैं, तो इसके लिए ट्रेन से सफर करना ही आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प रहेगा, और अगर ट्रेन की बात करें, तो इसके लिए आपको ट्रेन की सुविधा बेतूल में ही देखने को मिल जाती है, यानी कि बेतूल रेलवे स्टेशन ही मलाजपुर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। तो वहां जाकर आप कैब की मदद से आसानी से मलजपुर जाकर भूतो के मेले में शामिल हो सकते हैं।
फ्लाइट से मलाजपुर भूतों का मेला कैसे पहुंचे ( Airoplane se Malajpur betul bhoot ka mela Kaise Phuche )
तो दोस्तों अगर आप फ्लाइट से यहां आने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसके लिए आपको लंबा सफर करना पड़ सकता है, क्योंकि अगर यहां से निकटतम एयरपोर्ट की बात करें, तो वह नागपुर का एयरपोर्ट है। जो कि बैतूल से 180 से लेकर 190 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तो एक बार एयरपोर्ट आने के बाद आप लोकल बस या फिर कैब की मदद से बैतूल या फिर मलजपुर तक पहुंच सकते हैं।