हस्तिनापुर का इतिहास

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उत्तर प्रदेश राज्य का मेरठ शहर जिसे समृद्ध शहर माना जाता है इस से 40 किलोमीटर दूर प्राचीन नदी गंगा के किनारे पर हस्तिनापुर बसा हुआ है।हस्तिनापुर का उल्लेख न केवल पुरानी कथाओं में है बल्कि आपको आधुनिक भारत के मानचित्र में भी देखने को मिल जाएगा। कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध के साक्ष्य के रूप में हस्तिनापुर को देखा जाता है। अपने ऐतिहासिक दृष्टिकोण की वजह से वर्तमान समय में हस्तिनापुर पर्यटन का बहुत बड़ा स्थल बन चुका है।

दोस्तों आपने महाभारत सीरियल देखा होगा तो उसमें हस्तिनापुर का जिक्र आपको देखने को मिलता है लेकिन बहुत से लोगों को हस्तिनापुर के इतिहास के बारे में पता ही नहीं रहता है। आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको हस्तिनापुर के इतिहास के बारे में ऐसे रोचक तथ्य बताएंगे जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सुना होगा।

हस्तिनापुर की स्थापना के पीछे की कहानी 

दोस्तों भरत राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे राजा दुष्यंत ने भरत के बड़े होने पर उसका विवाह करवा कर सिंहासन उसको सोप दिया। भरत के 9 पुत्र हुए थे जब भरत वृद्ध हो गए तब वह हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए काफी चिंतित थे क्योंकि पुरानी परंपरा के अनुसार सिंहासन पर जेष्ठ पुत्र को बैठाया जाता था यही राजा भरत के लिए चिंता का कारण था इसके लिए उसने अपने मंत्रियों और बेटों से इस बारे में बातचीत की। इस बीच में यह एहसास हुआ कि उनके 9 पुत्रों में से कोई भी ऐसा नहीं है जो राजगद्दी के लिए उपयुक्त हो।

लेकिन राजा भरत के पास अपने जेष्ठ पुत्र को राजगद्दी पर बैठाने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं था।वह अपने जेष्ठ पुत्र को सिंहासन पर बैठाने के लिए तैयार हो गए इस बीच उन्होंने अपने अतीत को याद करते हुए यह देखा कि किस तरह से उनके माता-पिता ने उन्हें गर्व के साथ सिंहासन सौंपा था इसके साथ ही उन्होंने अपने गुरु के उपदेशों को भी याद किया। राजा भरत अपने पिता दुष्यंत की तरह काफी बहादुर  शक्तिशाली राजा थे और वह अपनी जनता का बहुत अच्छी तरीके से ख्याल रखते थे वह इस बारे में सोच रहे थे की शायद उनके पुत्र उनकी तरह जनता का ख्याल नहीं रखेंगे इससे उनका राज्य नष्ट हो जाएगा। इसके लिए उनके दिमाग में एक विचार आया की अपने पुत्र के अलावा अपने राज्य का उत्तराधिकारी किसी और को बनाएंगे। राजा भरत के सामने एक बहुत ही शक्तिशाली नौजवान का दृश्य सामने आया जो काफ़ी बहादुर भी था और उनके राज्य को उनकी तरह संभाल सकता था।

अब राजा भरत को अपने परिवार से हटकर अपने साम्राज्य के बारे में सोचना था एक दिन उन्होंने दरबार में सभा बुलाई और उन्होंने कहा कि मैं राजा भरत भूमन्यु को अपने राज्य का नया उत्तराधिकारी घोषित करता हूं राजा भरत की यह बात सुनकर सभा में बैठे सभी लोग चौक गए कि उन्होंने अपने पुत्रों को छोड़कर एक साधारण नौजवानों को अपने राज्य का उत्तराधिकारी क्यों बना दिया ? सभी लोग भूमन्यु को उत्तराधिकारी घोषित करने के पीछे का कारण राजा भरत से जानना चाहते थे। तब राजा भरत ने भूमन्यु को अपने दरबार में बुलाया और राजगद्दी पर बैठा दिया राजा भरत ने कहा तुम एक अकेले इंसान हो जिसे मैं इस सिंहासन के लिए योग्य मानता हूं मैं नहीं चाहता कि मैं अपने अयोग्य पुत्रों को सिंहासन पर बैठा कर सिंहासन के साथ अन्याय करू।

दरबार में बैठे सभी लोगों से राजा भरत ने कहा मैं इस नौजवान की बहादुरी से बहुत प्रसन्न हूं और यदि इस सिंहासन का कोई सही उत्तराधिकारी है तो वह भूमन्यु है तब राजा भरत भूमन्यु का हाथ पकड़कर उसका अभिवादन करते हैं भूमन्यु ने भी राजा भरत के अनुसार अपनी जनता का ध्यान रखा और अच्छी तरीके से शासन किया। भूमन्यु के बाद उनके पुत्र सुबहोध्रा ने भी अच्छी तरह से शासन किया सुबहोध्रा के बाद उनके पुत्र हस्तिन ने राजकाज संभाला और हस्तिन ने ही हस्तिनापुर की स्थापना की थी। कहा जाता है कि हस्तिनापुर को राजधानी बनाने से पहले उनकी राजधानी खांडवप्रस्थ हुआ करती थी लेकिन जल प्रलय के कारण यह पूरी तरीके से नष्ट हो चुकी थी इसी वजह से उन्होंने अपनी राजधानी को बदलकर हस्तिनापुर कर लिया।

हस्तिन के बाद अजामीढ़, दक्ष, संवरण और कुरु ने अपने अपने हिसाब से राज्य की डोर संभाली क्रमांनुसार राज्य किया कुरु का वंशज शांतनु हुआ यहीं से इतिहास ने अपनी रूपरेखा तैयार कर ली थी शांतनु के दो पुत्र हुए पांडु और धृतराष्ट्र उनके पुत्र पांडव और कौरवों ने राज्य के बंटवारे के लिए महाभारत जैसे बड़े युद्ध की लड़ाई लड़ी।

हस्तिनापुर के ऐतिहासिक अवशेष

हस्तिनापुर में प्राचीन काल में बहुत सी घटनाएं घटी हैं जिनके अवशेष आज भी हस्तिनापुर में मौजूद है। हस्तिनापुर से जुड़ी ऐतिहासिक चीजों के अवशेष आज भी जमीन में दफन है हस्तिनापुर के छह तल हुआ करते थे जिनके अवशेष आपको आज भी देखने को मिल जाएंगे।

हस्तिनापुर के महल के अंदर महादेव का मंदिर आज भी विद्यमान है यह वही मंदिर है जिसमें पांडवों की रानी द्रोपति यज्ञ किया करती थी।इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग और पांचों पांडवों की मूर्तियां महाभारत काल की बताई जाती हैं।

हस्तिनापुर के महल में आज भी बहुत पुराना वटवृक्ष मौजूद है जहां पर लोग अपनी मनोकामना के लिए जाते है इसके साथ ही विशालकाय जल कुआ भी मौजूद है।

निष्कर्ष :

उम्मीद है दोस्तों आपको हमारी द्वारा बताई गई जानकारी हस्तिनापुर का इतिहास अच्छे से समझ में आ गई होगी राजा भरत के शासनकाल से लेकर हस्तिनापुर के निर्माण तक की संपूर्ण घटना के बारे में हमने आपको जानकारी दी है। यदि फिर भी आपका हस्तिनापुर के इतिहास से जुड़ा कोई भी प्रश्न है तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम से पूछ सकते हैं।

लोगो द्वारा पूछे गए प्रश्न :

प्रश्न :1हस्तिनापुर का प्रथम राजा कौन था?

उत्तर : हस्तिनापुर का सबसे पहला राजा भरत था और पुराणों में यह उल्लेख किया गया है कि राज्य भारत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा था।

प्रश्न :2 हस्तिनापुर का अंतिम राजा कौन बना?

उत्तर : हस्तिनापुर का अंतिम राजा निचक्षु था जो की राजा परीक्षित का वंशज था अंतिम शासनकाल इसी ने संभाला था।

प्रश्न . 3 महाभारत के हस्तिनापुर का वर्तमान नाम क्या है?

उत्तर : हस्तिनापुर मेरठ शहर का एक छोटा सा जिला है इसका वर्तमान समय में नाम हस्तिनापुर ही है।

प्रश्न .4 हस्तिनापुर कौन से राज्य में आता है?

उत्तर : हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है जो की मेरठ से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

प्रश्न .5 भूमन्यु कौन था?

उत्तर : भूमन्यु भारतीय पुराणों के अनुसार एक महर्षि थे जो बाद में राजा भरत के पुत्र बने और राज सिंहासन को संभाला इनकी माता का नाम सुनंदा था जो काशी नरेश सर्पसेन की पुत्री थी।

प्रश्न.6  हस्तिनापुर का वर्तमान नाम क्या है?

उत्तर : हस्तिनापुर का वर्तमान नाम हस्तिनापुर ही है जो उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में बसा हुआ एक नगर है।

 

1 thought on “हस्तिनापुर का इतिहास”

  1. Mahabharat kaal mein Hastinapur Kis Rajya ki Rajdhani Thi? Maine aapse vansh nai puchha hai Dhyan Rahe Hastinapur samrajya me kitane nagar aate the?

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