द्रोपदी घाट मंदिर
जिस वजह से वह नदी से बाहर नहीं निकल सकते थे लेकिन द्रोपति ने अपनी समझदारी के बल पर ऋषि दुर्वासा को अपनी साड़ी फाड़कर दी थी तब ऋषि उन से प्रसन्न होकर उनको वरदान देते हैं की भविष्य में कभी भी उनकी लज्जा पर कोई भी आंच नहीं आएगी।जब कौरवो द्वारा द्रोपदी का चीर हरण किया जाता है उस समय भगवान श्री कृष्ण द्रोपती की लज्जा की रक्षा करते हैं।
तभी से इस स्थान को काफी महत्व दिया गया और इस स्थान को महाभारत काल से जोड़कर देखा गया यहां पर भगवान श्री कृष्ण के साथ ही द्रोपति का भी एक छोटा सा मंदिर स्थापित किया गया।
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