यदि आप शुक्रताल जाते है और आप अक्षय वट वाटिका को नही देखते है तो आपका शुक्रताल जाना व्यर्थ हो जाता है। शुक्रताल में एक बरगद का पेड़ है और उसी पेड़ को अक्षय वट वाटिका कहा जाता है। यह 5100 साल पुराना बरगद का पेड़ है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। अक्षय वट वाटिका 150 फीट की ऊंचाई और फैली हुई जड़ें किसी को भी डराने के लिए काफी हैं। इसे ऋषि सुखदेव का जीवंत प्रतिरूप भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने इसी पेड़ के नीचे बैठकर राजा परीक्षित को श्रीमद्भगवद् पुराणों का एक साथ 7 दिनों तक पाठ किया था। इसलिए इस पेड़ को सत्य, क्षमा और पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
इस पेड़ की सबसे खास बात यह है कि यह पेड़ कभी सूखता ही नही है और ना ही इस पेड़ के पत्ते कभी सूखते है। इस पवित्र पेड़ के सभी भक्त दूर दूर से दर्शन करने आते है, और ऐसा भी कहा जाता है कि यदि किसीकी कोई इच्छा है तो वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए इसके चारों ओर एक लाल धागा बांधते हैं जिससे कि उनकी इच्छा पूरी हो जाती है।